अनुभव और अनुभवकर्ता में एकता के दर्शन के प्रयोग आत्मविचार द्वारा | आत्मन् ही ब्रह्मन् है | यह जानना कैसे संभव है?
An enquiry into Oneness. The Self is Existence itself. How can this be known?
00:00:00 अनुभवों का एकीकरण
00:05:00 अंदर बाहर का भ्रम
00:10:20 चित्तवृत्ति
00:11:00 अनुभव और अनुभवकर्ता का एकीकरण
00:17:20 योग और ब्रह्मज्ञान
00:31:00 दृश्य - दृष्टा
00:32:00 अहम्, आत्मन, ब्रह्मन
00:35:00 चेतना
00:38:20 शून्यता
00:42:00 तीन चरण
00:45:40 प्रश्नोत्तर
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Негізгі бет १३. ब्रह्मज्ञान : Oneness
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