हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में स्थित है पारदेश्वर महादेव का मंदिर, जिसके दर्शन करने के लिए कई लोग आते है। यह हरिद्वार से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है और प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं।
बताया जाता है कि यह शिवलिंग 150 किलो ग्राम पारद से बना है। पारद जिसे मरक्यूरी (Mercury) कहते हैं। यह पारा होता है। पारे के बारे में तो प्राय: आप सभी जानते होंगे कि पारा ही एकमात्र ऐसी धातु है, जो सामान्य स्थिति में भी द्रव रूप में रहता है। मानव शरीर के ताप को नापने के यंत्र तापमापी अर्थात थर्मामीटर में जो चमकता हुआ पदार्थ दिखाई देता है, वही पारा धातु होता है। पारद शिवलिंग इसी पारे से निर्मित होते हैं। पारे को विशेष प्रक्रियाओं द्वारा शोधित किया जाता है जिससे वह ठोस बन जाता है फिर तत्काल उसके शिवलिंग बना लिए जाते हैं।
मंदिर प्रांगण में रुद्राक्ष का एक पेड़ भी लगा है, जिसे देखने मुख्य रूप से लोग यहां जाते हैं। यहां महाशिवरात्रि में मेला भी लगता है। हरिद्वार में हरिहर आश्रम गंगा के किनारे स्थित है। यह हरिद्वार से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है कनखल में है। इस आश्रम में तीन बड़े दर्शनीय स्थान है। पहला मृत्युंजय महादेव का मंदिर, दूसरा परदेश्वर मंदिर और तीसरा रुद्राक्ष का वृक्ष। जूना अखाड़ा के पंच दशानन अखाड़े का यह आश्रम है जिसे हरिहर आश्रम कहा जाता है
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Негізгі бет 150 kg पारे से बने है शिवलिंग और 450 वर्ष पुराना रुद्राक्ष पेड़ | Mercury Shivling | Parad Shivling
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