उत्तराखंड पलायन पर आधारित गीत खैरी बिपदा (Kheri Bipda)
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Singer/- Lokgayak Rakesh Panwar
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Lyrics/- Harish Raturi
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Music- Vinod Thapliyal
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Editing/-Praveen Panwar
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Channel Mangment/- Darmiyan Singh Chauhan
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Sp.Thnks- Milan Azad, Roshan Raturi, Sevraj Rawat, Rakesh Raturi, Teekaram Nautiyal, Sohan Raturi, Kailash Raturi, Jagatram Raturi, AviRaturi, Durga Raturi, Raj Baloni, Jp Basliya,
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Lebal/- Folk Group Presents
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Marketing- Ravi Rajput, Ansh Rawat, Kishan Rana, Ajay Mahar, Naveen Kaprwan,
उत्तराखंड में पिछले सात वर्षों में 700 से ज्यादा गांव खाली हो गए हैं, 10 वर्षों में 3.83 लाख से अधिक लोगों ने अपना गांव छोड़ दिया है. इनमें 50 प्रतिशत लोगों ने आजीविका की तलाश में पलायन किया है. सरकारी विभाग की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थिति में इन आंकड़ों को साझा करते हुए उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के अध्यक्ष एसएस नेगी ने कहा कि पलायन करने वालों में 70 प्रतिशत लोग राज्य के बाहर नहीं गए. वे राज्य के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में चले गए.
यह डाटा पिछले दस वर्षों में राज्य में पलायन की स्थिति पर आयोग की रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक निवास से जारी किया.
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सात सालों में 700 गांव वीरान हो गए. इससे पहले वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में भुतहा गांवों (घोस्ट विलेज) यानी वीरान हो चुके गांवों की संख्या 968 थी, जो अब बढ़कर 1668 हो गई है.
रिपोर्ट में राज्य के पांच पहाड़ी जिलों रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा में पलायन की चिंताजनक तस्वीर उभरकर सामने आई है.
यहां के गांवों में पलायन राज्य के औसत से कहीं अधिक है.
राहत वाली बात यह है कि पहाड़ी गांवों से 70 फीसद लोगों ने राज्य के अंदर ही पलायन किया है, इससे छोटे-छोटे कस्बों में बसागत तेजी से बढ़ी है. जबकि, 29 फीसद राज्य से बाहर और एक फीसद विदेश पलायन कर गए.
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी द्वारा प्रदेश के 7950 गांवों के सर्वे के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट पर आयोग के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अनुमोदन दे दिया है.
रावत को रिपोर्ट 20 अप्रैल को सौंपी गई थी. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि प्रदेश के सभी गांवों से पलायन हो रहा है, लेकिन पांच पर्वतीय जिलों में हालात खराब है, जहां राज्य औसत से अधिक पलायन हुआ है.
राज्यी औसत एक गांव से 60 लोगों का पलायन है. इस लिहाज से रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा जिलों के गांवों से प्रति गांव इससे कहीं अधिक पलायन हुआ है.
सूत्रों ने आयोग के हवाले से बताया कि इन पांच जिलों को छोड़ कर बाकी आठ जिलों में पलायन राज्य औसत से कम है.
रिपोर्ट में उल्लेख है कि 50 फीसद लोगों ने आजीविका के लिए गांव छोड़ा, जबकि 73 फीसद ने बेहतर शिक्षा के उद्देश्य से. इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधा के अभाव के चलते करीब 10 फीसद लोग पलायन को विवश हुए.
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