महा प्रभावशाली उपसर्ग निवारक महा मंगलकारी रोग शोक नाशक जैन पारसनाथ स्त्रोत 27 Times Uvsagram Strot | Uvasaggaharam Stotra | Parshvnath Strot | Jainism Sansar | Jain Sansar
27 बार गाथा का जाप
27 टाइम्स धुन जाप
27 times Dhun Jaap
उवसग्गहरं पासं, पासं वंदामि कम्म-घण मुक्कं ।
विसहर विस निन्नासं, मंगल कल्लाण आवासं ।।1।।
विसहर फुलिंग मंतं, कंठे धारेइ जो सया मणुओ ।
तस्स गह रोग मारी, दुट्ठ जरा जंति उवसामं ।।2।।
चिट्ठउ दुरे मंतो, तुज्झ पणामो वि बहु फलो होइ ।
नरतिरिएसु वि जीवा, पावंति न दुक्ख-दोगच्चं।।3।।
तुह सम्मत्ते लद्धे, चिंतामणि कप्पपाय वब्भहिए ।
पावंति अविग्घेणं, जीवा अयरामरं ठाणं ।।4।।
इअ संथुओ महायस, भत्तिब्भर निब्भरेण हिअएण ।
ता देव दिज्ज बोहिं, भवे भवे पास जिणचंद ।।5।।
Негізгі бет 27 Times Uvsagram Strot | Uvasaggaharam Stotra | Parshvnath Strot | Jainism Sansar | Jain Sansar
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