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प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूस की क्रांति संपन्न हुई यह क्रांति पिछड़ी अर्थव्यवस्था किसान और मजदूरों की विपन्नता निरंकुश जारशाही के अत्याचारों के विरुद्ध जन विद्रोह का सम्मिलित परिणाम थी 1917 में रूसी क्रांति उस समय हुई जब रूसी सेना प्रथम विश्वयुद्ध में सर्वत्र हार रही थी परंतु रूसी क्रांति सैनिक पराजय का परिणाम नहीं थी अपितु जनविद्रोह का परिणाम थी
रूसी क्रांति के कई कारण थे जैसे रूसी शासक जार निकोलस द्वितीय जन हितेषी कार्यों में रुचि नहीं लेता था उसकी पत्नी जरीना व मंत्री राजपुतिन निरंकुश थे कृषि दासता से मुक्त किसान एवं औद्योगीकरण से बड़ी मजदूरों की संख्या एवं आमजन में इनके प्रति भारी रोष था
द्वितीय 1904-05 में रूस जैसे विशाल देश को एशियाई देश ने पराजित कर दिया जिससे रूस के जार की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा फिर जनता द्वारा प्रतिनिधित्व सभा की मांग को स्वीकारते हुए संसद ड्यूमा की स्थापना की गई परंतु सत्ता चरण के डर से संसद को दो बार भंग कर दिया गया जिससे राजशाही और जनता में संघर्ष प्रारंभ हो गया
तृतीय उस समय चल रहे मार्क्सवादी आंदोलनों ने जनता में एक नई चेतना उत्पन्न कर दी एवं लेनिन जैसे लेखक वक्ता नेता ने इसे और अधिक संगठित करके क्रांति का मार्ग प्रशस्त कर दिया
चतुर्थ रूस का आर्थिक दिवालियापन,रूसीकरण की नीति,समाजवादी विचारधारा का प्रसार के कारण भी रूसी क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ
पंचम रूस की जारशाही ने अपनी साम्राज्यवादी आकांक्षा के चलते रूस को विश्वयुद्ध मैं धकेल दिया फिर जब रूस की पराजय होने लगी तो जनता ने उसे राष्ट्रीय अपमान के रूप में देखा तथा किसान और सैनिकों का असंतोष क्रांति का तात्कालिक कारण बन गया और क्रांति प्रारंभ हो गई
1917 की रूसी का प्रारंभ
1917 की फरवरी-मार्च में रूसी क्रांति प्रारंभ हो गई जारशाही एवं प्रथम विश्वयुद्ध जनित दुर्व्यवस्था से रूसी जनता बेहाल थी 1917 को 12 वीं वर्षगांठ मनाई गई मार्च अंत तक सभी कारखानों में हड़ताल प्रारंभ हो गई सेंट पीटर्सबर्ग की सड़कों पर मजदूरों ने रोटी के लिए जुलूस निकाला जिसमें सैनिक भी इनके साथ शामिल हो गए मजदूर एवं सैनिक दोनों ने मिलकर सोवियत परिषद का गठन किया इस परिषद ने ड्यूमा के साथ मिलकर अस्थाई सरकार गठित की इसके साथ ही 300 साल से चला आ रहा रोमनोंब वंश का शाशन समाप्त हो गया इसके पश्चात अब जनता केरेन्सकी से रोटी तथा युद्ध से मुक्ति च चाहती थी परंतु करेंसीकी जनता की आकांक्षाओं को पूरा ना कर पाया और जल्द ही अलोकप्रिय हो गया
बोल्शेविक क्रांति-
करेंसी की की अस्थाई सरकार में जमीदार पूंजीपति उद्योगपति थे एवं सरकार मध्यम वर्ग का समर्थन करती थी इसके विपरीत बोल्शेविक दल के नेता लेनिन इस स्थिति को भांप लिया था की सैनिक एवं किसान अब युद्ध नहीं चाहते तब बोल्शेविक ने युद्ध को बंद करने भूमि का वितरण किसानों में तथा उद्योगों को मजदूरों के हाथों में देने का वादा किया इससे लेनिन बहुत लोकप्रिय हो गया तब बोल्शेविक दल के लोगों ने सरकारी इमारतों पर रेल गाड़ियों पर डाकघरों पर कब्जा कर लिया और केरेन्सकी देश छोड़कर भाग गया तथा अक्टूबर-नवंबर में रूसी क्रांति पूर्ण हो गई
क्रांति के परिणाम:::-
1917 की रूसी क्रांति से रूस में चली आ रही 300 साल की जारशाही का अंत हो गया कुलीन तथा चर्च की सत्ता का भी अंत हो गया एवम दुनिया की पहली समाजवादी सरकार अस्तित्व में आई जिसमें किसान मजदूर सम्मिलित थे एवं उनका समर्थन प्राप्त था इस क्रांति के सफल होने से यूरोप में राजतंत्र विरोधी लहर चलने लगी तथा कई देशों में राजशाही का अंत हो गया रूस ने जर्मनी से संधि कर ली और खुद को 1918 में युद्ध से अलग कर लिया इसके परिणाम स्वरुप रूस में मार्क्सवादी विचारधारा लोकप्रिय हुई एवं पूरे विश्व में फैलने लगी रूसी क्रांति की सफलता ने मजदूरों को संगठित किया एवं विश्व भर में मजदूरों ने सफलता प्राप्त की यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ की स्थापना इसी का परिणाम थी इसके पश्चात समाजवादी सरकार की यह समाजवादी व्यवस्था की स्थापना हुई उत्पादन के साधन जैसे भूमि उद्योग आदि का सामाजिकरण हो गया तथा व्यक्तिगत संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया एवं नियोजित अर्थव्यवस्था की नींव पड़ी जिसने 1929 की आर्थिक मंदी से रूसी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखा रूस में महिलाओं को मताधिकार सभी धर्मों को समान अधिकार तथा सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किए गए
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