रामायण के अनुसार वनवास के समय भगवान राम, लक्ष्मण व सीता वर्तमान सवाई माधोपुर की खण्डार तहसील में स्थित रामेश्वर तीर्थ की जगह एक रात का विश्राम किया था। पवित्र स्थल के रूप में विख्यात यह स्थान त्रिवेणी संगम के रूप में जाना जाता है, इस स्थान पर तीन प्रमुख नदियों का मिलान होता है, इसी कारण इसे त्रिवेणी संगम नाम दिया गया है, इस जगह पर चंबल नदी , बनास नदी एवं सीप नदी आकर मिलती है, कहाँ जाता है कि प्राचीन काल में भगवान राम ने मिट्टी का शिवलिंग स्थापित करके इसी जगह पर भगवान शिव की पूजा की थी। वर्तमान में इस स्थान पर शिव भक्तों का वर्ष भर जमावड़ा लगा रहता है, चारों तरफ प्रकृति की हरियाली यहाँ के पवित्र स्थान पर चार चाँद लगा देती है। इस त्रिवेणी संगम के पास ही भगवान चतुर्भुजनाथ का मंदिर भी बना हुआ है। तीनों नदियों के पवित्र संगम स्थल के पास में परशुराम घाट बना हुआ है।मान्यता है कि भगवन परशुराम ने यहाँ तपस्या की थी।इसलिए इस स्थान को तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता हैं।
रामेश्वर शिव लिंग के दर्शनार्थ दूर दराज से आने वाले भक्तजन त्रिवेणी में स्नान कर भगवान शिव के शिव लिंग का जलाभिषेक करते हैं, इस स्थान पर प्रतिवर्ष 'कार्तिक पूर्णिमा' एवं 'महा शिवरात्री' पर विशाल मेला भरता है, लाखों की तादाद में यहाँ पर भीड़ इकट्ठा होती है। इस स्थान को राजस्थान में "मीणा जनजाति का प्रयागराज" भी कहा जाता है।
वर्तमान समय में यहाँ सभी समुदायों के अनुयायियों की धर्म आस्था केन्द्र बना हुआ है।यहाँ सभी समुदायों ने अपनी-अपनी धर्मशालाएं बनवा दी हैं। वर्तमान समय में हजारों लोगों को एक साथ धर्मशालाओ में ठहराया जा सकता हैं।
प्रतिवर्ष हजारों लोग सातों धाम की यात्रा करने जाते हैं।मान्यता है कि जब भी कही यात्रा करके आओ पहले रामेश्वर धाम में स्नान करना पड़ता हैं।तब जाकर यात्रा का फल प्राप्त होता हैं। इस तरहा रामेश्वर धाम अपने महत्व में अपना अलग ही स्थान रखता हैं।
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Негізгі бет [295] चम्बल किनारे ⛺ Rameshwar Dham Khandhar Sawai Madhopur Rajasthan India
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