महाभारत के समय पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र जिस पेड़ पर रखे थे, वह स्थान अब ताल वृक्ष के नाम से मशहूर है।
महाभारत के समय में कौरवों से द्यूत क्रीडा के दौरान पांडवों को हराने के बाद उन्हें 13 वर्षों का वनवास व 1 वर्ष के अज्ञात वास पर भेजा था। पांडवों ने वनवास पूरा कर अज्ञातवास के लिए विराट नगर को चुना था।
विराट नगर में रहकर ही इन्होंने विराट नरेश की सेवा की थी। अज्ञात वास पूर्ण होने से कुछ दिन पहले ही कौरवों को पांडवों का पता चल गया और उन्होंने विराट नगर पर हमला कर दिया। विराट नगर की ओर से राजकुमार उत्तर युद्ध करने गए । अर्जुन ब्रहन्ला के रूप में उनके सारथी बने थे, लेकिन राजकुमार विशाल कौरव सेना को देखकर घबरा गए और भागने लगे। इसके पश्चात अर्जुन ने उन्हे रोककर उन्हे अपना सारथी बनाया और अपना रथ समीप ही एक पेड़ की ओर ले जाने को कहा।
अलवर से 41 किमी दूरी पर है स्थित
जहां पांडवों ने अज्ञात वास के समय अपने अस्त्र-शस्त्र छुपाए थे वह स्थान आज राजस्थान के अलवर से 41 किलोमीटर दूर स्थित तालवृक्ष के नाम से जाना जाता है। जनश्रुति के अनुसार तालवृक्ष का नाम यहां पर विशाल ताल के ऊंचे वृक्षों के कारण पड़ा है। अर्जुन ने यहीं अपने और पांडवों के शस्त्र रखे थे, इसलिए इस स्थान को अर्जुन वृक्ष भी कहतें है।
गर्म ठण्डे पानी के कुण्ड
इस स्थान पर गर्म व ठण्डे पानी के कुण्ड है। दोनों कुण्ड नजदीक ही बने हुए है। इनमें से एक कुण्ड में ठंडा तो दूसरे कुण्ड में हमेशा गर्म पानी रहता है। इन कुण्डों में प्राकृतिक पानी नीचे से निकलता है जिसमें गंधक की मात्रा होने के कारण इसमें स्नान कर लेने से चर्म रोग दूर होता है।
तालवृक्ष स्थित मंदिर में अर्जुन के अराध्य महादेव का सात फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते है।
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Негізгі бет [331] आज कैसा है वो स्थान ? महाभारत अर्जुन छुपाये शस्त्र, अज्ञातवास Taal Vriksha, Alwar Rajasthan
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