@DugDugiRajesh
Paled Village Uttarakhand
करीब 35 साल पहले नौकरी के सिलसिले में गांव छोड़ना पड़ गया था। विषम भौगोलिक परिस्थितियां थीं, खेतीबाड़ी में भी बहुत कुछ नहीं हो पा रहा था। इसलिए गांव छोड़ना पड़ा। पर, गांव की याद हमेशा सताती रही। हमारा मकान और जमीन देहरादून के बड़ासी गांव में भी है, जहां पहुंचना ज्यादा सुविधाजनक है। वहां किसी तरह की दिक्कत नहीं है, पर पलेड गांव में मेरा बचपन बीता, यहां मेरा जन्म हुआ और पूर्वजों के साथ ज्यादा समय बिताने का अवसर मिला, इसलिए मैंने सेवानिवृत्ति के बाद, यहां वीरान पड़े मकान को संवारने और बाकी की जिंदगी यहीं गुजारने का मन बनाया।
ऊर्जा निगम से सेवानिवृत्त करीब 70 साल के श्री अवतार सिंह मनवाल और उनकी पत्नी श्रीमती कृष्णा देवी से जानते हैं, उनकी गांव वापसी के बारे में....
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Негізгі бет 35 साल बाद पैतृक गांव लौटे बुजुर्ग दंपति बोले, अब यहीं कटेगी जिंदगी।Reverse Migration in Uttarakhand
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