यदि चीन हमारे साथ भारत के साथ अपने रिश्ते जो अब तक रखे गए गोल्डन थंब से होता -बोली एक अमोल है- करने से पहले विचारता तो परिणाम समानता की ओर ज्यादा करीब होता परंतु मान्यता प्रदर्शिता अच्छी नहीं कहीं पीढ़ी दर पीढ़ी नहीं जानती कि चीन के कितने प्रांत है और भारत के हर राज्य के बारे में पूरा विश्वजानता है भारत के विश्व गुरु बनने की महत्वाकांक्षा में जिसमें सब की जीत बराबर आश्वासन है भारत को मिलाकर तो इसमें व्यवधान बनकर जो पैसों की प्रभुता दी गई है अमेरिका को योग्यता उसे पर भारी क्यों नहीं पड़ती चाहे अमीर हो चाहे करीब बाबा नानक का एक उदाहरण भी है स्वयं अपने बेटे के लिए जैसे अमेरिका सरकार का अपनी जनता के लिए रिश्ता है तो पूरे विश्व में बदनाम क्यों हो रहाअमेरिका?
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