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आजादी के बाद जब भारतीय सिनेमा सामाजिक वर्जनाओं को तोडऩे की कोशिश कर रहा था, रूप के. शौरी की फिल्म 'एक थी लड़की' (1949) ( Ek Thi Ladki Movie ) सिनेमाघरों में पहुंची और इसके एक गाने 'लारा लप्पा लारा लप्पा लाई रखदा' ( Lara Lappa Lara Lappa Lai Rakhada Song ) ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक धूम मचा दी। हिन्दी-पंजाबी शब्दों वाला यह गाना लता मंगेशकर ( Lata Mangeshkar ), मोहम्मद रफी ( Mohammed Rafi ) और सतीश बत्रा ( Satish Batra ) ने गाया था। यह फिल्म की नायिका मीना शौरी पर फिल्माया गया। जमाने को झुमाने वाले इस गाने का 'एक थी लड़की' की कामयाबी में बड़ा हाथ रहा। इस फिल्म के बाद 'लारा लप्पा गर्ल' के तौर पर मशहूर मीना शौरी का कॅरियर रॉकेट की रफ्तार से बुलंदी की तरफ गया। हालांकि इससे पहले वे 'सिकंदर', 'फिर मिलेंगे', 'सहारा', 'पृथ्वी वल्लभ' और 'शहर से दूर' समेत दर्जनभर फिल्मों में काम कर चुकी थीं। 'एक थी लड़की' में उनकी आधुनिक नारी की छवि ज्यादा मुखर होकर सामने आई। इसमें उनकी कॉमेडी भी काफी पसंद की गई।
रोमांस और कॉमेडी के तड़के वाली 'एक थी लड़की' में मीना शौरी ने जो बोल्ड किरदार अदा किया, निजी जिंदगी में वे इससे ज्यादा बोल्ड थीं। उनका असली नाम खुर्शीद जहां ( Khurshid Jehan ) था। सोलह साल की उम्र में उन्होंने निर्माता-निर्देशक जहूर राजा से शादी की, जो कुछ महीनों बाद टूट गई। अभिनेता अल नासिर से दूसरी शादी भी ज्यादा नहीं चली तो उन्होंने फिल्मकार रूप के. शौरी से शादी कर ली। यह रिश्ता ठीक-ठाक चल रहा था और मीना शौरी को फिल्में भी लगातार मिल रही थीं, लेकिन 1956 में वे पाकिस्तान चली गईं। यानी रूप के. शौरी से भी रिश्ता टूट गया। बतौर अभिनेत्री पाकिस्तान में भी उनका सिक्का चल निकला। वहां उन्होंने दो और शादियां कीं, जो पहले की शादियों की तरह नहीं टिक पाईं। ढलती उम्र के साथ पाकिस्तानी फिल्मों में उनकी मांग घटती चली गई। कमाई के रास्ते बंद हुए तो रिश्तेदार भी उनसे दूर हो गए।
किसी ने खूब कहा है- 'बुलंदियों पे पहुंचना कोई कमाल नहीं/ बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।' मीना शौरी को 'लारा लप्पा' की तूफानी कामयाबी ने जो बुलंदी अता की थी, वे उस पर ठहरने का कमाल नहीं दिखा पाईं। उनकी हालत उस मृग जैसी थी, जो कस्तूरी की खुशबू अपने भीतर होने के बावजूद इसकी खोज में जंगल-जंगल भटकता रहता है। पाकिस्तान में उनके आखिरी दिन गुमनामी और बदहाली में गुजरे। लाहौर में 3 सितम्बर, 1989 को देहांत के बाद उन्हें दफनाने के लिए चंदे से रकम जुटानी पड़ी। फिल्मों की चकाचौंध की यह बेरहम हकीकत है.. 'जब तलक था नाम, काफी रौनकें घर में रहीं/ कामयाबी क्या गई, रिश्तों का मौसम भी गया।'
Негізгі бет ५ शादिया करने वाली भारत की एकमात्र अभिनेत्री | शादी का रिकॉर्ड कोई दूसरी अभिनेत्री तोड़ नहीं पायी हैं
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