बनवाए दे रे भोला सोने की एक अटरिया
तुम तो भोले अस्सी बरस के हमरी है बाली उमरिया
बनवाए...
लक्ष्मी और सरस्वती मेरी रोज ही हसीं उड़ाती हैं
हम तो री गौरा महलों में रहती तुम जंगल में रहती हो इतनी सुंदर हो भोले से फिर भी कुछ नहीं कहती हो
भंग नशे में चूर रहे वो अमर कष्ट क्यों सहती हो
ऐसे बोल सहे न जाएं नीचे को आवे है नजरिया
बनवाए....
देर करी ना शिव शंकर ने विश्वकर्मा को बुलवाया
सोने चांदी और हीरे का सुघड़ महल है बनवाया
बन के महल तैयार हुआ जब कहने लगे शंकर स्वामी
अपने महल में कल चलेंगे ओढ़ लेओ सुहाग चुनरिया
बनवाए...
गोरा मैया कहने लगी अब बात सुनो मेरे स्वामी
घड़ी मुहूर्त दिखलाए लेओ और बुलवाए लेयो
पंडित ज्ञानी
देर करी ना शिव शंकर ने ले आए रावण ज्ञानी
कर सोलह सिंगार सती ने जल से है भर लाई रे गागरिया
बनवाए....
देख महल सोने का पंडित रावण मन में हर्षाया
कैसा सुंदर महल बना है यह मेरे मन को भाया
किया संकल्प जब भोले ने दान में दे दई रे अटरिया
बनवाए....
अंदर से जब भोले आए बात सुनो गोरा रानी
जहां से आए वही चलेंगे चलने की करो तैयारी
सोच में पड़ गई गोरा मैया बात समझ में ना आई
अभी अभी तो आए थे फिर बात हो गई क्या स्वामी
किया संकल्प मैंने इसका दान में दे दई है अटारिया
बनवाए.....
इतनी बात सुनी गौरा ने नैन रोष भर लाई हैं
बड़े प्यार से शिव शंकर ने फिर गौरा समझाई हैं
राजा हिमाचल की बेटी हो भोले के संग ब्याही हो
तीनो लोक मैंने दान में दे दए यह तो है छोटी सी अटरिया
बनवाए...
छोड़ महल सोने का गौरा फिर पर्वत पर आई हैं
कर्म लेख ना मिटे जगत में लाख करो चतुराई है
क्रोध में भरकर फिर गौरा ने रावण को हे श्राप दिया
रहने दो नहीं पाएगा जो अट्टा मुझसे छीन लिया
हुआ युद्ध जब राम रावण का हनुमत ने फूंकी है
अटरिया
बनवाए.....
Негізгі бет शंकर पार्वती जी का सुंदर भजन 🙏🏻
Пікірлер: 301