अब श्री रजनीश मेरा पुत्र नहीं गुरु है। ओशो के पूजनीय पिता का एकमात्र इंटरव्यू. स्वामी स्वतंत्र के साथ
१९७० के दशक में भारत के आध्यात्मिक ज्ञान से प्रभावित होकर पाश्चात्य जगत के कई लोग भारत आने लगे और श्री रजनीश के अलावा अन्य कई गुरुओं के पास जमा होने लगे। उन्ही दिनों इटली के निवासी कार्लो सिल्वेस्त्रो भारत आये। श्री रजनीश से मिलते ही वे समझ गए की उनकी गुरु की सामाप्त हुई। श्री रजनीश ने उन्हे नया नाम दिया स्वामी स्वतंत्र।श्री रजनीश के माता पिता आश्रम में ही रहते थे. स्वामी स्वतंत्र को यह ज्ञात होते ही वे उनके मन में ओशो के पिता का इंटरव्यू लेने की प्रबल हुई। इस गुरु स्टोरी में सुनिए श्री रजनीश के पिता का एकमात्र इंटरव्यू. जहाँ उन्होने ओशो के विषय में कई रोचक बातें कही।
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