Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन
साधक के साधन-पथ में काम वासना विध्न है-
अनेक साधक मन को समझा बुझा कर एवं दबा कर इन्द्रियों को विषय विमुख करना चाहते हैं परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिलती है-सुख भोगने से भोगने की शक्ति घटती जाती है और सुख भोग की वासना बढ़ती जाती है, कभी तृप्त नहीं होती, अतः काम का नाश सभी के लिए अनिवार्य है।
काम का नाश किसी अभ्यास से नहीं होता, प्रत्युत् सेवा त्याग और प्रेम के रस से होता है।
परमात्मा रूपी जो अनन्त तत्व है, वह हर भाई को हर बहन को मिल सकता है। उससे निराश नहीं होना चाहिये। औ सुख-दुःख साधन सामग्री है, उसे जीवन नहीं मानना चाहिये।
Негізгі бет अचाह हो जाये-मरने से न डरे 10(अ) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj
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