Dates: 6th to 15th March 2023
Venue: Shivanand Ashram, Ahmedabad, Gujarat
Acharya: Swami Parmatmananda Saraswati
Grantha: Tattvabodha
अद्वैत यात्रा- एक यात्रा जो संसार रूपी झूठ से ब्रम्ह रूपी सत्य की ओर ले जाने वाले साधन 'वेदांत' की साधना की साक्षी बनी।
आचार्य शंकराचार्य जी
अपने ज्ञान के साथ सम्पूर्ण भारत की में पैदल यात्रा कर विभिन्न मतों की छोटी छोटी जल धाराओं को वैदिक संस्कृति रूपी महासागर के अमृतपान से तृप्त किया।
अलग अलग शैली के विद्वानों से शास्त्रार्थ कर उन्हें सनातन का उचित मार्ग प्रदत्त किया।
वर्तमान परिदृश्य मध्यप्रदेश शासन, सांस्कृतिक विभाग का आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, उसी श्रृंखला की एक कड़ी है।
न्यास द्वारा इस वर्ष 6 मार्च से 15 मार्च तक 10 दिवसीय अद्वैत वेदांत शिविर का आयोजन साबरमती की गोद मे बसे 'अशावल' और आज के अहमदाबाद गुजरात मे
आध्यात्मिक आभामण्डल के धनी "शिवानन्द आश्रम" की शरण मे किया गया
जिसमे देश विदेश से चुने गए 50 शिविरार्थियों ने भाग लिया। ये सभी वे थे जिनमे सनातन के प्रति आस्था तो थी परंतु आत्मबोध के ज्ञान की कमी थी।
इस अज्ञानता को दूर करने के लिए साधन बना "तत्वबोध"।
चुकी यह सार्वत्रिक सत्य है कि गुरू बिना ज्ञान असम्भव है, इसलिए इस साधन की साधना के लिए परम् पुज्य श्री स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती जी ने सभी को आशीर्वाद दिया।।
गुरुवर, आचार्य शंकराचार्य परम्परा के अभिन्न अंग है।
अद्वैत जागरण संकल्पना स्वामी जी के श्री मुख से ही सम्पूर्ण हो पाई।
10 दिवसीय इस शिविर की दिनचर्या प्रातः 5 बजे स्नान उपरांत शिव आराधना से होती थी।
शिव उपासना से स्थिर चित्त लिए सभी पूज्य स्वामी से सानिध्य प्राप्त करते थे।
यहां सभी को यह ज्ञान हुआ कि वैदिक दृष्टिकोण वर्तमान के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी कही आगे है। यह सिर्फ आध्यात्म मात्र नही, अपितु जीवन दर्शन है।
गुरु के आशीर्वाद से सभी बहुमुखी प्रतिभाओं ने एक मत हो कर यह माना कि सत्य सिर्फ 'ब्रह्म' है बाकी सब मिथ्या है।
हमने जाना कि जीवन कर्मफल आधारित है।
जीव, जगत, ईश्वर की वास्तविकता को गहराई से समझा।
सभी ने माना कि जीवन के प्रति उनकी विकृत समझ ही उनके दुःखो का कारण है, विचारो के शुद्धिकरण मात्र से दुःख का अंत और मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है।
साथ ही होली का पावन पर्व भी इस शिविर का हिस्सा बना, जिसे बहुत उत्साह से मनाया गया। अलग अलग रंगों को मिला कर एक रंग में रम जाने वाली होली जीवन के अमूल्य उपहार की तरह थी।
इसी यज्ञ में एक आहुति चिन्मय मिशन द्वारा भी दी गई।
प्रतिदिन बहुत अनूठे ढंग से विभिन्न खेलो के माध्यम से जीवन दर्शन को पढ़ाया गया।
अद्वैत वेदांत दर्शन की इस यात्रा में एक दिन वह भी रहा जब पावागढ़ शक्ति पीठ ने हमे दर्शन का अवसर दिया।
विशालकाय पर्वत के शीर्ष पर विराजमान माँ महाकाली के अद्भुत रूप के दर्शन मात्र से शक्ति का संचार हो गया। उपासना में सभी लीन हो कर गरबा कर रहे है।
अन्य दर्शनार्थियों के लिए यह काफी रमणीय दृश्य रहा।
तदुपरांत दिन था बुधवार 15 मार्च,
जिस गुरु ने संसार से स्वंय तक की यात्रा अपना हाथ पकड़ा कर करवाई, आज उनके श्री चरणों के वंदन का दिन था। सभी अतिभावुक थे, धन्यवाद स्वरूप गुरुपूजन की विधि की गई।
आशीर्वाद स्वरूप गुरु ने रुद्राक्ष की माला, फल और धर्म साहित्य भेंट दिया।
गुरु के चरणों में शीश झुकाते ही अज्ञानता रूपी अंधकार का अंत प्रारम्भ हो गया।
सभी ने अनुभव साझा किए और स्वामी से आशीष वचन प्राप्त किये।
वैदिक गुरुकुल नीति से इस गुरु शिष्य परम्परा ने मुझमे ज्ञान रूपी प्रकाश पुंज स्थापित कर दिया।
इस तरह मैंने अपने अज्ञानता रूपी अंधकार के अंत की और गमन को स्वीकार किया।
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Негізгі бет Advaita Youth Camp 2023 | Shivanand Ashram Ahmedabad
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