एक कहावत है- “उत्तम खेती, मध्यम बान : अधम चाकरी, भीख निदान।” अर्थात् खेती करना सबसे अच्छा कार्य है। खेती के बाद व्यापार करना अच्छा कार्य है। इसके बाद चाकरी यानी नौकरी को स्थान दिया गया है और अंत में जब कुछ नहीं कर सकते तो भीख माँगना ही अंतिम विकल्प है, जिन्हें सबसे बेकार काम माना गया है। यानी कृषि कार्य बेकार नहीं है। यदि कृषि से युवा जुड़ जाए तो देश का काया-पलट हो सकता है।
भारत की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि से ही जीविकोपार्जन करती है। जबकि आर्थिक दृष्टि से कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान मात्र 16% है। यानी कृषि को फिर से एक नई क्रांति की आवश्यकता है। युवाओं के द्वारा कमोबेश कृषि क्रांति का वह आधार तैयार हो चुका है जो भारत की तस्वीर बदल सकती है। दिक्क़त केवल इस बात की है कि किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता और किसान स्वयं अपने बच्चों को कृषि कार्य में नहीं रखना चाहता है। इसी तरह कृषि की पढ़ाई करने वाले युवा भी वापस गाँव में जाकर खेती नहीं करना चाहता है। युवा जोखिम लेने के लिए जाने जाते हैं किंतु कृषि और किसान को भारत में ऐसे ट्रीट किया जाता रहा है जैसे वह समाज के मुख्यधारा से अलग हो। यानी “कृषि को बेकारों, बेगारों और निरक्षरों का पेशा मानने की मानसिकता पर पूर्ण-विराम लगाने की आवश्कता है।” यदि एक बार आत्मसम्मान और आर्थिक सुरक्षा की भावनाएँ युवा किसानों में आ गया तो न केवल युवाओं के अच्छे दिन आ सकते हैं बल्कि भारत फिर से बुलंदी पर चढ़ सकता है। क्योंकि “विकसित भारत का रास्ता युवाओं, खेतों और खलिहानों से होकर ही गुजरेगा।”
आज के आधुनिक दौर में हर कोई चार काम करके पैसा कमाना चाहता है. बढ़ती मंहगाई के बीच अब ये रोजगार के नए रास्ते तालशते रहना भी जरूरी हो गया है. इसी रोजगार की तलाश में कई लोग गांव से शहरों की ओर पलायन करते हैं, लेकिन अपने पीछे खेत-खलिहानों को खाली छोड़ जाते हैं, जिनके हड़पने का खतरा बना रहता है
मुझे अच्छा लगा ये वीडियो देखकर लोगों की ख़ुशी में बढ़ोतरी होगी !!
Jai Hind Nursery
Bhiwadi Rajasthan 301018
☄️🥦🥬🌽🫑🧅🥗
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Негізгі бет @अगर आप 10-12 हज़ार कमाते है और आपके पास ज़मीन है तो अभी मोका है कुछ करने का 🤔🌿🔥🔥💥
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