अमृत वर्षा रसानुभूति ध्यान साधना पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Amrit Varsha Rasanubhuti Dhyan Sadhna Pt Shriram Sharma Acharya
ध्यान अध्यात्म पथ का प्रदीप है। ध्यान की ज्योति जिसमें जितनी प्रखर है, अध्यात्म पथ उसमें उतना ही प्रकाशित हो जाता है। परमहंस श्री रामकृष्ण देव अपने शिष्यों से कहा करते थे कि ध्यान की प्रगाढ़ता अध्यात्म ज्ञान की परिपक्वता का पर्याय है। वह कहते थे- 'जिसे ध्यान सिद्ध है, समझना चाहिए उसे अध्यात्म सिद्ध है।'
सावधान! युग बदल रहा है। सावधान। नया युग आ रहा है।
!! हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा !! हमारी युग निर्माण योजना- सफल हो, सफल हो, सफल हो। हमारा युग निर्माण सत्संकल्प पूर्ण हो, पूर्ण हो, पूर्ण हो । इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य । वन्दे- वेद मातरम्।
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अखण्ड ज्योति, भारत की सात से अधिक भाषाओं में प्रकाशित एक मासिक पत्रिका है जो प्रेरणाप्रद, आध्यात्मिक एवम् सामाजिक विषयों पर विभिन्न समसामयिक लेखों के साथ-साथ जीवन के प्रत्येक विषय से सम्बन्धित समस्या के समाधानों की ओर प्रेरित तथा मार्गदर्शित करती है।
*अखंड ज्योति संस्थान द्वारा इसे 1938 में शुरू किया गया था।
*1950 से ये बिना रुके मथुरा से प्रकाशित हो रही अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक, महान कर्मयोगी पं श्रीराम शर्मा आचार्य इस पत्रिका के संस्थापक हैं।
*यह व्यापक रूप से सामाजिक मुद्दों, व्यक्तित्व विकास और वैज्ञानिक आध्यात्मिकता को कवर करता है।
*यह अखिल विश्व गायत्री परिवार की मुख्य पत्रिका है।
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