www.jagatgururampalji.org
गरीब, न्योली नाद सुभान गति, लरे भुवंग हमेश
जड़ी जानि जगदीश हैं, बिष नहीं व्यापे शेष
गरीब, हंस गवन करते नही, मानसरोवर छाडि
कौआ उडि उडि जात हैं, खाते मासा हाड
गरीब, हंस दशा तो साध है, सरोवर है सत्संग
मुक्ताहल बानी चुगे, चढ़त नवेला रंग
गरीब, दरस परस नहीं अंतरा, रूमी वस्त्र बीच
पारस लोहा एक ढिग, पलटे नहीं अभीच
गरीब, च्यार मुक्ति बैकुंठ बट, सप्तपुरी सैलान
आगे धाम कबीर का, हंस ना पावे जान
गरीब, मौन रहे मग ना लहे, मारग बंकी बाट
शून्य शिखर गढ़ सुरंग है, कर सतगुरु से साट
गरीब, रामानन्द से लक्ष गुरु, तारे शिष के भाय
चेलों की गिनती नहीं, पद में रहे समाय
गरीब, नौ लख नानक नाद में, दस लख गोरख तीर
लाख दत्त संगी सदा, चरणों चर्च कबीर
Негізгі бет Amritvani : Paarakh Ka Ang - Jagatguru Tatvdarshi Sant Rampal Ji Maharaj
Пікірлер: 208