शिवकुमार बाबू मन की भावनाओं को समझा कीजिए तथा उन्हें आदर सहित उचित स्थान देने की कोशिश कीजिए। किसी के उम्मीदों के कल्पनाओं को कुतरने की कोशिश नहीं कीजिए। बहुत हो गया बचपना अब रुक जाइए। अनुपमा जितनी गंभीरता एवं संजीदगी के साथ स्टेज प्रोग्राम करती है आज के दौर में यह आसान नहीं बहुत ही कठिन है। वो सत्य,बेबाक एवं स्पष्टभाषी लड़की है। ऐसे लोग बड़े ही कोमल हृदय के होते हैं,कोशिश कीजिए की बेवजह इन्हें ठेस नहीं पहुंचे। मेरी एक छोटी सी सलाह है,आप फिल्म "अभिमान" को कम से कम दो बार देखिए।
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