Renouned poetry in memory of great freedom fighter Ashfaaq Ulla Khan by one of the most famous hindi poet of his time Shri Agnivesh Shukla.
श्री अग्निवेष शुक्ल (जन्म-12 जून, 1953 - 8 जून, 2003) को तीखा मिजाज और व्यवस्था के खिलाफ सीने में जलन अपने पिता पं. ब्रहमदत्त से विरासत में मिली में थी, जो विकासखंड भावलखेड़ा के ब्लाक प्रमुख थे। अग्निवेश जीएफ कॉलेज से 1974 में स्नातक के दौरान ही अपने साथियों में कवि सम्राट के रूप में प्रसिद्ध थे। अग्निवेष के नाम जैसे व्यक्तित्व व कृतित्व ने पूरे कॉलेज का हीरो बना दिया था। प्रांतीय वॉलीबाल के खिलाड़ी रहे अग्निवेष की जब 1976 में डा. उर्मिलेष, डा. मोहदत्त साथी, डा. सुभाष वशिष्ठ से बदायूं के एक कवि सम्मेलन में मुलाकात हुई और इस पहली मुलाकात ने उनकी प्रतिभा ने उन्हें काव्य पाठ के लिए मंच पर पहुंचा दिया। पहले मंच से ही उनके श्रोताओं की वाह-वाह की ध्वनि ने उनके काव्य सौष्ठव को पूरे देश में गुंजायमान कर दिया। देश में छोटे से छोटे जिला से लेकर मुंबई तक ऐसा मंच नहीं बचा, जहां उन्होंने काव्य पाठ और पुरस्कार न पाया हो। उनका पहला अखिल भारतीय कवि सम्मेलन बलिया में हुआ,जहां से उनकी पूरे देश में कीर्ति फैल गई। मुंबई में 'जनता की पुकार' साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन (1978) उन्होंने देश के प्रसिद्ध कवियों के साथ जब कविता पाठ किया तो श्रोता सहित सभी कवियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।
डा. उर्मिलेश ने उनके विषय में कहा था कि वह विरोधाभासी तेवरों में जीता था। जहां उसने 'अशफाक उल्ला खां की आखिरी रात' और मुरादाबाद दंगों पर सौहार्द भरी नज्में भी लिखी थीं। वहीं 'एक बार तो कहो हिंदुओं हिंदुस्तान हमारा है' और 'आरक्षण' जैसी कविताएं भी लिखीं। उनकी प्रसिद्धि का यह आलम था कि उस दिन के अखबार सब बिक जाते थे और प्रशंसक उनकी पंक्तियों के समाचारपत्र तलाशते रहते थे। आयोजकों को भीड़ से निकालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ती थी। दुर्ग शहर में उनके वीररस कविता से घबराकर एक कवि ने मंच त्यागा और संस्था से भी संबंध खत्म कर लिए। यह नजारा था उनकी कीर्ति से जलने वालों का। अग्निवेश के व्यक्तित्व का खाका उनके काव्य सौष्ठव से स्पष्ट पता चलता है-'इस धरा से हर अंधेरे को मिटाकर सूर्य का पर्याय बनना चाहता हूं, आदमी के शौर्य के इतिहास का मैं श्रेष्ठतम अध्याय बनना चाहता हूं।' साहित्यकार चंद्रमोहन दिनेश का कहना है कि अग्निवेष की कविता प्रस्तुति इतनी जबरदस्त थी कि पूरा कवि सम्मेलन उनके ही नाम हो जाता था। सीधे-सादे शब्दों में वह अपने चुटीले कटाक्ष कर देते थे। उन्होंने मानवीय संवेगों की नई जमीन को तोड़ा और नए प्रतीक, बिंब व प्रतिमान से अपनी गजलों को सजाया संवारा। यही उन्हें बशीर बद्र, निदा फाजली व दुष्यंत कुमार से जोड़ती है।
अग्निवेष शुक्ल
जन्म-12 जून, 1953
निधन-8 जून, 2003
प्रकाशित काव्य संग्रह
- शिल्पायन दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह-रात के पिछले पहर।
- अप्रकाशित गीत संग्रह-रिश्तों की बहरी बस्ती में।
प्रसिद्ध रचना
- 'अशफाक उल्ला खां की आखिरी रात'
सम्मान
-जनपद रत्न
-मानव संसाधन अकादमी कटनी में प्रस्तुति पर 'नगर गौरव सम्मान'
-राजस्थान समाज द्वारा आयोजित विराट हिंदी कवि सम्मेलन (1989) में सम्मान
-उत्तर प्रदेश राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने 'रात के पिछले पहर' गजल संग्रह का विमोचन 12, जून, 2004 को गांधी भवन प्रेक्षागृह शहीद नगरी में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए किया था। इसमें शुभाशंसा स्वयं शास्त्री जी ने और अभिनंदन पद्मश्री पुरस्कार विजेता कवि गोपालदास नीरज ने लिखी है।
-हिंदी अकादमी तहत गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन दिल्ली 22जनवरी,1992 में सम्मान
-राज्य पंचायत व ग्रामीण विकास मध्यप्रदेश के मंत्री विट्ठल भाई पटेल, शिवसेना संस्थापक बाबा साहेब ठाकरे, राज्यमंत्री कृष्णस्वरूप वैश्य, विधायक सुरेश खन्ना से उनके घनिष्ठ संबंध थे।
अग्निवेष शुक्ल जी द्वारा रचित चर्चित मुक्तक
-हिंदी में सोचा है उसे और उर्दू में महसूस किया।
- हमने हिंदुस्तान,गजल की खुश्बू में महसूस किया।
-झगड़ा,प्यार,आंसू,खुशियां,अरमान रहते हैं,
- एक साथ ही मेरे घर में कितने मौसम रहते हैं।
-थोड़ा सा नासमझ,थोड़ा सा खुद्दार हूं मैं।
बस इतनी पहचान है मेरी बदकिस्मत फनकार हूं मैं।
-'अशफाक उल्ला की आखिरी रात में' चौड़ा सीना, लंबी बाहें, ऊंची पेशानी थी उसकी। शबनम की बूंदों सी अल्हड़, अलमस्त जवानी थी उसकी।
- यादें ज्यादा,सपने कम, लगता बूढ़े हो गए हम।
- गीत,गजल,दोहे,चौपाई,छंद,मल्हार न होते।
- दुनियां सूनी-सूनी होती हम फनकार न होते।
Reference
1. 'अग्निधर्मा' ओजस्वी कवि के पर्याय थे 'अग्निवेश' :
www.jagran.com...
2. उम्र की राह में चुपचाप चला करते हैं
www.amarujala....
3. अशफाक की आखिरी रात
kharauna.wordp...
4. कैसे कटी 'अशफ़ाक़ उल्ला खान की आखिरी रात', पढ़ें अग्निवेश शुक्ल की कविता
zeenews.india....
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