छत्तीसगढ़ की अदभुत कला बाँस लोकगीत जो की बहुत कम लोक कला मंचों में देखने को मिलते हैं बड़े-बड़े महोत्सव में ही इनको देखा जाता है बाकी छोटे-मोटे मंचो में क्यों नहीं दिखते ये कला हर किसी के बस की बात नहीं है बहुत मेहनत साधना करनी पड़ती है इसको सिखने के लिए धनेश राम कोसरे जी इस कला में महारथ हासिल की है अदभुत कलाकारी है उनकी ,68 साल के आयु मे भी है बहुत मधुर आवाज है आज तक कभी स्कूल नहीं गए हैं लेकिन गाना का हर एकक शब्द याद है कुछ भी नहीं भुला है हर्ष की बात ये है कि इस कला को यादव समुदाय के अलावा किसी में भी आजतक नहीं देखा गया था मगर धनेश राम कोसरे जी सतनामी समाज के होकर भी इस कला को बहुत बारिकी से सीखा है बहुत ख़ूबसूरती से पेश करते है अपनी इस कला को
singar----- dhanesh Kumar koshre
bash vadak --- chowaram yadav
bash vadak --- kuleshwar yadav
Girdhar Gopal Krishna 6266060180
Негізгі бет बाँसगीत छत्तीसगढ़ के लोकगीत जो आज विलुप्त के कगार पे है ये सभी बाँसगीत के मास्टर है
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