इंदरगढ़ की स्थापना महाराजा इन्द्रशाल जी ने की थी। इंदरगढ़ में बहुत ही विशाल और दर्शनीय किला है, यह बून्दी के सबसे दर्शनीय किलों में से एक है। इस में राव राजा उम्मेद सिंह जी ने परकोटे व महल का निर्माण करवाया था। इसमे अतिसुन्दर चित्रशाला व परकोटे बने हुए है। बून्दी के राव राजा रतन सिंह जी पुत्र गोपीनाथ जी थे, जो राजा बनने से पूर्व ही मृत्यु को प्राप्त हुए थे। उनके 12 पुत्र थे जिनमें बड़े राव राजा छत्रशाल जी, जो बून्दी के राजा बने थे व पाँचवे इन्द्रशाल जी थे जिनको इंदरगढ़ की जागीर दी गयी थी। यह उस समय 1,25,000 आय वाली जागीर थी। इन्ही इन्द्रशाल जी के वंशज इन्द्रशालोत हाड़ा कहलाते है। इनके ही एक वंशज अमर सिंह जी ने खातोली की स्थापना की थी। रावराजा उम्मेद सिंह जी के समय यहाँ के जागीरदार देव सिंह जी ने कापरेन के जागीरदार दीप सिंह जी को उम्मेद सिंह जी के खिलाफ कर दिया था और दुश्मन राज्य से मिल गए थे तब उम्मेद सिंह जी ने देव सिंह को मारकर यह जागीर उनके छोटे भाई भगतराम जी को दे दी थी।
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