बिहार की जातीय जनगणना के नतीजे आने के ठीक एक दिन पहले छत्तीसगढ़ की अब तक न हुई जातीय जनगणना के मुद्दे पर एक जानकार-विद्वान से एक लंबा इंटरव्यू हुआ। प्रो.घनाराम साहू वैसे तो इंजीनियरिंग के प्राध्यापक हैं, लेकिन जातियों के आंकड़ों का अध्ययन कई दशकों से वे करते चले आ रहे हैं। 1931 की जातीय जनगणना से लेकर अब तक अलग-अलग किस्म के तमाम सर्वे, जनगणना, और आंकड़ों का विश्लेषण उनका पसंदीदा शगल है। उनसे छत्तीसगढ़ के जातिगत-ढांचे, और यहां जातियों के इतिहास, यहां के सबसे पुराने लोग कौन थे, किस आरक्षण का किस तरह का असर होगा, ऐसे दर्जनों सवालों पर ‘छत्तीसगढ़’ अखबार के संपादक सुनील कुमार ने बातचीत की। आज यहां पेश है उस बातचीत की पहली किस्त।
बातचीत प्रो.घनाराम साहू से : दूसरी किस्त में कई और दिलचस्प बातें... • बातचीत प्रो.घनाराम साह...
Негізгі бет बातचीत प्रो.घनाराम साहू से : कौन थे छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने रहवासी?
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