बैगाओं के पारंपरिक मिश्रित खेती जिसे बैगा अपनी परंपरा के अनुसार बेवर कहते हैं। बेवर एग्रो ईकोलॉजी का जागता म्यूजियम है। इस प्रकार के खेती में बैगा जनजाति पहले लगभग 52 प्रकार के बीज बोते थे। उसमें विविध प्रकार के अनाज होते थे, तो कई प्रकार के दालें भी होती थी। साथ में अनेकों किस्म के सब्जी-भाजियाँ होते थे। इसीलिए बैगा बुजुर्ग कहते हैं कि "पहले हम बारह जात के खाना खाते थे आज एक ही अनाज खाने को मिलता है।" बेवर खेती बंद होने से इनमें से कई बीज लुप्त हो चुका है। उसके साथ पारंपरिक ज्ञान भी खतम हो रहा है। इससे बैगा लोग चिंतित है। एक बैगा बुजुर्ग अपने तीसरी पीढ़ी के थाली विविध प्रकार के पौष्टिक भोजन मिल सके इसके लिए अपने नाती को बेवर खेती कैसे किया जाता है सीखा रहा है। बेवर खेती जैव विविधता का प्रबंधन ही नहीं भोजन विविधता और पौष्टिक भोजन का अहम स्रोत है। जिन अनाजों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट (पोषक अनाज) वर्ष घोषित किया है वह सब पोषक अनाज बैगाओं के एक ही खेत के बेवर में होता हैं।
Негізгі бет बेवर खेती- दादी नाती संवाद
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