200 गीर गौपालन और बैल कोल्हू के माध्यम से देश के स्वास्थ्य और समृद्धि को वापस लाने में जुटे हैं विनोद सिंह।
बैक टू फार्मिंग: एग्रीकल्चर टूर ऑफ़ बिहार के दौरान हमारी मुलाकात विनोद सिंह से हुई। विनोद जी इन दिनों सेव देशी काऊ नामक कैंपेन चला रहे हैं। इनके गौशाला में फिलहाल 200 से भी अधिक गीर गाये हैं। वे मानते हैं कि उन्होंने कोई फॉर्म नहीं बल्कि गौशाला की शुरुआत की है जिसमें पशु नहीं बल्कि गौमाता रखी जाती है। वे बड़े स्पष्ट भाव से कहते हैं कि देशी गाय को हम नहीं पालते बल्कि ये गाये वर्षों से हम भारतीयों का भरण पोषण करती आई है। वे देशी गाय को भगवान श्री कृष्ण की गाय के नाम से पुकारते हैं। इनकी नजर में जर्सी, फ्रीजियन और होलिस्टन गाय फर्जी है।
विनोद जी के गौशाला में हर गाय का अपना नाम और पहचान है। खुले वातावरण में ये देसी गायें पूरे दिन विचरण करती है ।
A1और A2मिल्क!
वैज्ञानिकों की माने तो देसी गाय के दूध में a2 कैटेगरी का प्रोटीन पाया जाता है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए श्रेयस्कर होता है। मां के दूध में भी a2 प्रोटीन ही पाया जाता है। भैंस, बकरी और ऊंट के दूध a2 कैटेगरी के होते हैं जिससे कई स्वास्थ संबंधी फायदे हैं!
जर्सी, फ्रीजियन और होलिस्टन गायो के दूध में A1 प्रोटीन पाया जाता है । वैज्ञानिक रिसर्चो में यह प्रमाणित हो चुका है कि यह दूध मधुमेह ,हृदय संबंधी समस्याएं और बच्चों में कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्याएं के लिए
जिम्मेदार हैं।विनोद जी इन्हें गाय की प्रजाति मानते ही नहीं बल्कि इन्हें फर्जी बताते हैं।
विनोद सिंह दो दशक से सामाजिक सरोकार से जुड़े हैं।
विनोद सिंह का लंबा सामाजिक सरोकार रहा है। पिछले दो दशक से अपने संगठन स्टूडेंट ऑक्सीजन मूवमेंट के तहत क्विट शुगर एंड डिफाइंड ऑयल जैसे कैंपेन के माध्यम से हजारों लोगों को जागरूक करने का साहसिक काम किया है।
देशी गाय की पहचान!
भारत में तकरीबन 37 से 40 देसी गायों की प्रजाति है। गीर-साहिवाल-थारपारकर जैसे कुछ देसी नस्ल बेहद प्रसिद्ध है। इन गायों के शरीर एक हंप निकला हुआ होता है जिसे सूर्यकेतु नाड़ी भी बोलते हैं । वैज्ञानिक बताते हैं कि सूर्यकेतु नाड़ी के कारण ही देसी गाय सूर्य की रोशनी की उर्जा अपने दूध में समाहित कर पाती है।
श्वेत क्रांति और देसी गाय।
व्हाइट रिवॉल्यूशन के समय मिलकिंग कैपेसिटी बढ़ाने के नाम पर देसी गायों को जर्सी और फ्रीजियन गायों के साथ क्रॉस कराया गया जिससे उनकी मिलकिंग कैपेसिटी तो बढ़ी लेकिन दूध का गुणवत्ता बेहद ही खराब हो गया।
सेव देशी काऊ!
विनोद जी देसी गाय को बचाने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं। उन्होंने अपने फॉर्म को एक मॉडल के रूप में डिवेलप किया है जिससे प्रेरणा लेकर बाकी सारे किसान और युवा उद्यमी इस क्षेत्र में आगे आ सके।
बताते चलें कि फिलहाल देसी गाय की संख्या देश में कुल गायों की संख्या के मुकाबले 10 परसेंट ही रह गई है।
जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए आधार माने जाने वाले इन देसी गायों का संवर्धन करके ही स्वस्थ भारत का कल्पना किया जा सकता है।
कोल्हू से मिल रहा है बैलों को रोजगार!
विनोद जी ने अपने फॉर्म में दो बैल कोल्हू भी लगा रखे हैं। इससे सरसों तेल की पेराई की जाती है। विनोद जी बैल कोल्हू के कई फायदे बताते हैं। मसलन बैल कोल्हू से निकला तेल प्रोसेसिंग प्लांट के तेल के वनिस्पत काफी ठंडा होता हैं। प्रोसेसिंग प्लांट में बड़े-बड़े मशीनरी का इस्तेमाल करके सरसों की पेराई की जाती है जिसके कारण तेल गर्म होता है उसमें कई विषाक्त तत्व जमा हो जाते हैं। कोल्हू में बेल के धीमी गति का इस्तेमाल करते हुए लकड़ियों से तेल की पेराई होती है जिसे कारण सरसों तेल की सारी गुणवत्ता बरकरार रहती है। विनोद जी के अनुसार ट्रैक्टर आने के बाद गांव-गांव से बैल विलुप्त होने लगे। कोल्हू ने बैलों को रोजगार देने का काम किया है। इससे बैलों को हम कसाई खाने जाने से बचा सकेंगे और आम जनमानस को शुद्ध तेल उपलब्ध करा सकेंगे।
ऑक्सीजन गौशाला है बेहद खास।
पटना के पास में ही स्थित यह ऑक्सीजन गौशाला का हर कोना बेहद ही मनोरम है। यहां आप भगवान कृष्ण और भगवान राम के गाय और नंदी का दर्शन तो कर ही सकते हैं साथ ही साथ इनका गुणकारी दूध,घी, छाछ और दही भी अपने इस्तेमाल के लिए ले जा सकते हैं।
ऑक्सीजन गौशाला का वीडियो का लिंक कमेंट बॉक्स में हैं।
© लवकुश
आवाज एक पहल।
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Sudhakar Singh
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Негізгі бет बैल कोल्हू के फायदे जान हैरान रह जाएंगे आप।
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