नाटक के बारे में :-
यह एक आधुनिक भारतीय कॉमेडी नाटक है जो पूरी तरह से सस्पेंस, कॉमेडी और रोमांचित करने वाला नाटक है।
यह नाटक बल्लभपुर शहर के प्राचीन इतिहास पर आधारित है। रमापति भुइयां के पड़पोते भूपति राय ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया और अभी भी उनके पास 400 साल पुराना महल है। अब उसकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है और वह महल को बेचने की योजना बना रहा है, लेकिन वह ऐसा करने में असमर्थ है क्योंकि यह महल भूतिया है।
शहर में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं बचा है जिससे उसने उधार न लिया हो, और उधार चुकाने के लिए वह महल को बेचना चाहता है और कोलकाता में जाकर अपने एक दोस्त के साथ डेंटल क्लिनिक शुरू करना चाहता है। काफी कोशिशों के बाद किसी तरह उसे खरीदार मिल जाता है। खरीदार को प्रभावित करने के लिए वह शाही राजा होने का नाटक करता है और अपने लेनदारों को शाही नौकर बनाकर महल बिकवाने की मना लेता है। अब भ्रम की स्थिति तब शुरू होती है जब खरीदार मिस्टर हालदार महल का दौरा करते हैं। क्या भूपति महल को हालदार को बेच पाएगा? क्या हालदार को महल में भूत के बारे में पता चलेगा?
प्रस्तुति :- रंगजुम्बिश संस्था, जयपुर
नाटककार :- बादल सरकार
निर्देशन :- सूफियान सूफी
पात्र
भूपति :- गौरव निर्वाण
डी के बोस :- समीर राजपूत
मनोहर :- द्रविल छाबड़ा
बी पी हालदार :- रोशन चौधरी
स्वप्ना हालदार :- पूजा
छंदा हालदार :- रेणु
चौधरी :- विनोद जोशी
पवन :- विकास मीना
श्रीनाथ :- मोहित कुमार
साहू :- राजेश कुमार
मंच परे :-
संगीत :- प्रदीप सोलंकी
प्रकाश :- शहज़ोर अली
वेश-भूषा :- पूजा
रूप सज्जा :- मेधा
सामग्री :- रेणु
सेट :- रंगजुंबिश टीम
संयोजक :- आर डी अग्रवाल
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Негізгі бет बल्लभपुर की रूपकथा | Comedy Play | Badal Sarkar | - Jawahar Kala Kendra Jaipur
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