बरसाना पीली पोखर | प्रिया कुंड | श्री राधा जी ने यही मेहंदी के हाथ धोये थे 🙌🏼 #barsana #radheradhe
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श्री राधा शरणम् ममः आज की यात्रा में हम आपको लेके जा रहें है पीली पोखर,पीली पोखर को लोग प्रिया कुंड कहते है। यहाँ पर श्री जी आती थीं, यह बरसाना में है। ये श्री जी (राधा रानी) का कुंड है। यहाँ की एक लीला है. स्वामी हरिदास जी ने गायी है। उनका पद है। श्री राधा रानी जी सरोवर में स्नान करने जा रही थीं। और उधर से नंदलाल आ जाते हैं। इतने में नंदलाल पूछते हैं। की यह किनकी बेटी हैं, इनका क्या नाम है? ये बड़ी ठाट भाट से चली आ रही हैं। ये सुनकर ललिता जी आगे बढ़ती हैं। और बोलीं की तुम इनका उत्तर मत देना। मे ही दे दूंगी। इनका इलाज तो मेरे पास है। ललिता जी बोली की नंदगाँव में तो बाँवरे ही रहते हैं, पागल ही रहते हैं। अरे बाँवरे तू अपने गाँव में वापस चले जा। अब श्याम सुन्दर चुप हो गए, यह तो बड़ा टेढ़ा बोली। अब क्या बोलते बिचारे एक ही प्रश्न में बड़ा उल्टा जवाब मिला। अब दूसरा प्रश्न करने की उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ी। सब सखियाँ फिर खेलने लग गयीं। अब राधा रानी को प्रेम एवं कृपा करने कि इच्छा हुई कि श्याम सुन्दर के साथ बड़ा अन्याय हुआ। उन्होंने तो शिष्टाचार में यह पूछा कि यह किनकी बेटी है और यह जवाब देती हैं कि पागल तू अपने गाँव वापस जा। इतने में सखियाँ खेलने लगी तो श्रीजी बोली की तुम लोग खेलो में उधर नहाती हूँ। इतने में श्याम सुन्दर को भी अवसर मिल गया, इतनी दूर से आये हैं। वो श्याम सुन्दर भी तो टेड़ों में टेड़े हैं। और जैसे ही श्री जी ने पानी में डुबकी लगायी तुरंत श्याम सुन्दर ने पानी के भीतर से आकर के उनको गले लगा लिया, वो चौंक गयी। यह बहुत सुन्दर लीला है। यहाँ की एक और लीला हे कि राधा रानी ने हल्दी के पीले हाथ धोये थे और इसका नाम पीली पोखर हो गया था।
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श्री सदगुरुदेव भगवान कृपा 🙏🏻एवं हमारी किशोरी जी और कन्हैया की प्रेरणा से सभी सनातनियों के लिए ब्रज 84 कोस परिक्रमा का वर्णन करने जा रहे है 🙌🏻
ब्रज 84 कोस परिक्रमा के नाम से जानी जाने वाली यात्रा का वेदों और पुराणों में बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
ब्रज 84 कोस परिक्रमा लगभग 268 किलोमीटर की यात्रा होती है।
वारह पुराण में ब्रज 84 कोस परिक्रमा के विषय में वर्णन मिलता है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं।
मान्यता है कि 84 कोस परिक्रमा करने से व्यक्ति को 84 लाख योनियों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस यात्रा को करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं|
चातुर्मास में ब्रज 84 कोस की यात्रा करने का विशेष महत्व है।
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बड़ी ८४ कोष यात्रा कहाः कहाः होकर लगती है
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