छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में 8 साल पहले 16-17 मई की दरम्यानी रात "बीज पंडुम" (आदिवासियों का प्रमुख त्यौहार) का जश्न मनाते हुए निर्दोष आदिवासियों पर सी आर पी एफ के जावानों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। गंगालूर थानाक्षेत्र के एडसमेटा गांव में त्यौहार मना रहे सैंकड़ों आदिवासियों पर CRPF के जावानों ने बेरहमी से एकतरफा अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस गोलीबारी में 4 नाबालिग समेत 8 आदिवासियों की मौत हो गयी थी और 5 आदिवासी जख्मी हो गए थे। घटना के बाद तात्कालीन भाजपा सरकार ने आनन फानन में सी बी आई जांच और न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। रिटायर्ड जज वी के अग्रवाल की एकल सदस्यीय जांच समिति ने घटना के 8 साल बाद अब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में जांच समिति ने स्पष्ट किया है कि घटना में मारे गए आदिवासियों का संबद्ध नक्सलियों से नहीं था। मारे गए सभी लोग आम आदिवासी थे। जांच रिपोर्ट के आ जाने के बाद करीब 35 गांव के सैंकड़ों आदिवासी अलग-अलग मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद सुरक्षाबल के जावानों की अन्धाधुन्ध फायरिंग में मारे गए 8 आदिवासियों के परिजनों को न्याय दिलाने हजारों आदिवासी आंदोलन की राह में निकल पड़े हैं। अब सवाल ये है कि "बीज पंडुम" क्या है? कैसे मनाते हैं आदिवासी बीज पंडुम? देखिए इस रिपोर्ट में।
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Негізгі бет Bastar: क्या होता है "बीज पंडुम"? जिसका जश्न मनाते Police की गोली से मारे गए थे 8 निर्दोष Tribals|
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