बंगाली कायस्थ समुदाय भारत का एक बहुत ही संपन्न एवं पढ़ा-लिखा समुदाय है बंगाली कायस्थ समुदाय की उत्पत्ति सेन राजवंश के समय की मानी जाती है जब बंगाल के राजा आदिसूर या फिर बल्लाल सेन ने कन्नौज से 5 ब्राह्मणों को बुलाकर बंगाल के ब्राह्मणों को शिक्षा-दीक्षा देने के लिए कहां यह पांच ब्राह्मणों के गोत्र बनर्जी चटर्जी मुखर्जी गांगुली और भट्टाचार्य थे इन्हें कुलीन ब्राह्मण कहा गया इसी के साथ वहां के राजा ने राजकाज के कार्य के लिए भी कुछ लोगों की नियुक्ति की और यही से कन्नौज के 5 कायस्थ भी आए जिनके गोत्र या सरनेम इस प्रकार है बोस, घोष, गुहा, मित्रा और दत्ता यह 5 गोत्र कायस्थों के कुलीन कायस्थ कहलाए इसके अलावा जो अन्य कायस्थ थे वह मौलिक कायस्थ कहलाए गुहा कायस्थ समुदाय बंगाल से असम में प्रवास कर गया तथा यह असम के कायस्थ समुदाय कहलाए कोलकाता हाईकोर्ट ने सन 18 सो 84 में कायस्थ को शुद्र घोषित कर दिया था जिसे 1926 के पटना हाई कोर्ट के जजमेंट में रिवर्स कर बंगाली कायस्थों के क्षत्रिय वर्ण के स्टेटस को कायम रखा बंगाली कायस्थ समुदाय से स्वामी विवेकानंद सुभाष चंद्र बोस Shri Arvind परमहंस योगानंद जी तथा जगदीश चंद्र बोस भी आते हैं |
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