#koham3469
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिर: ।
संप्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् ।।
।।06:13।।
समम् = समान; कायशिरोग्रीवम् = काया शिर और ग्रीवा को; धारयन् =धारण किये हुए; अचलम् = अचल; स्थिर: = दृढ़ (होकर); संप्रेक्ष्य =देखकर; नासिकाग्रम् = नासिका के अग्रभाग को; स्वम् = अपने; च =और दिश: = अन्य दिशाओं को; अनवलोकयन् = न देखता हुआ;
काया, सिर और गले को समान एवं अचल धारण करके और स्थिर होकर, अपनी नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि जमा कर, अन्य दिशाओं को न देखता हुआ-
Holding the trunk, head and neck straight and steady, remaining firm and fixing the gaze on the tip of his nose, without looking in other direction.
जय श्रीकृष्ण।🙏
Негізгі бет BGS0613 ध्यान करने की विधी यानि शरीर का अंग विन्यास (posture) इ. का वर्णन।
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