लगभग 5000 वर्ष पूर्व प्रणत चित्तचोर, रसिक सिरमौर ब्रजेन्द्रनन्दन एवं उनकी ही ह्लादिनी शक्ति, नित्य निकुंजेश्वरी, रासेश्वरी श्री राधा रानी ने अधिकारी, जीवों को सर्वोच्च कक्षा का रस वितरित किया था, जिसे महारास कहते हैं। महालक्ष्मी जो भगवान् की अनिादिकालीन पत्नी हैं उनको भी यह रस नहीं मिला। यह रस सर्वथा अनिर्वचनीय है।
पुस्तक रास पंचाध्यायी में इस अनिर्वचनीय विषय पर प्रकाश डाला गया है। वस्तुत: यही समझना कठिन है कि रास क्या है, फिर उसमें किस प्रकार प्रवेश मिल सकता है इत्यादि और भी गूढ़ विषय है। आचार्य श्री ने इसे अत्यधिक सरल भाषा में समझाया है।
रास पंचाध्यायी - हिन्दी: www.jkpliterature.org.in/hi/p...
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Негізгі бет भागवत महापुराण का प्राण : रास पंचाध्यायी का अद्भुत वर्णन Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj
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