भोजपुरी नाटक बेटी बेचवा | Bhojpuri Natak Beti Bechwa | भिखारी ठाकुर | Jogira
भोजपुरी नाटक बेटी बेचवा: भिखारी ठाकुर ने अपने नाटक के माध्यम से उस समय के समाज के एक और कुरीति बाल-वृद्ध विवाह को दिखाने की कोशिश किया है। जिसमें पैसे के कमी के कारण लोग अपनी बेटी को या तो बेच देते थे या काफी बड़े उम्र के लोगों से शादी करवा देते थे। इस नाटक के माध्यम से बेटी के जन्म लेने को अपने घर में अपशकुन मानने वाले पर कुठाराघात किया था।
भिखारी ठाकुर। यह वह नाम है जो भोजपुरी भाषियों के बीच बड़ा ही सम्मान से लिया जाता है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। एक लोक कलाकार के साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे।
वयोवृद्ध पत्रकार वनखंडी मिश्र साल 1962 को याद करते हैं। पुराना बाजार के एक धर्मशाला में भिखारी ठाकुर ने 'भोजपुरी नाटक बेटी बेचवा' का मंचन किया। इस भोजपुरी नाटक को देखने के लिए कोयला मजदूर भी पहुंचे थे। नाटक अपना काम कर गया। व्यापक असर हुआ। उनके शो के दौरान लोगों ने रोते हुए कसमें खाई थी की ना तो हम अपनी बेटी बेचेंगे ना ही ज्यादा उम्र के लोगों से ब्याह करेंगे।
Source : National Cultural Audiovisual Archives
Rare and original video of Bhojpuri Natak Beti Bechwa.
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