भारत में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट।-[Solid waste management in Indian Cities]-Hindi****Information Video
हाईवे या मेन सड़क के पास जमीन नहीं मिलने के बाद अब नगर निगम प्रशासन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए टिब्बों की रेतीली जमीन तलाश रहा है। इसके लिए कैमरी रोड और बालसमंद रोड पर स्थित कुछ गांवों के सरपंचों के साथ निगम अधिकारियों ने चर्चा की है।
टिब्बों की जमीन खेती करने लायक नहीं होने के कारण पंचायतें ऐसी जमीन को निगम प्रशासन को देने में सहमति जता सकती हैं। इसलिए अब अधिकारियों ने रेतीली जमीन पर फोकस किया है। निगम को यह प्लांट लगाने के लिए 35 से 40 एकड़ जमीन की जरूरत रहेगी।
एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर की दूरी अनिवार्य
हालांकि, निगम प्रशासन को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की जमीन तलाशने के लिए एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर की दूरी का ख्याल रखना होगा। नए आदेशों के अनुसार एयरपोर्ट जहां स्थित है, उसके 20 किलोमीटर दायरे में यह प्लांट नहीं लगाया जा सकता है। खास बात यह है कि शहर के नजदीकी रेतीले टिब्बों वाले गांवों की दूरी भी 20 किलोमीटर से ज्यादा ही पड़ती है। ऐसे में इस बार निगम अधिकारियों को सफलता मिल सकती है।
प्लांट लगने का गांव को भी होगा फायदा
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार प्लांट लगने से जमीन देने वाले गांव को भी फायदा होगा। भविष्य में यहां निगम प्रशासन अपने और प्रोजेक्ट भी लगा सकता है। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जबकि गांव को गोद लेने की प्रक्रिया भी हो सकती है, जिससे गांव में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।
क्लस्टर स्तर का होगा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
प्रदेश सरकार की ओर से हिसार में क्लस्टर स्तर का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्रस्तावित है। इसमें हिसार के अलावा हांसी, बरवाला, उकलाना, नारनौंद व सिवानी का भी कचरा निस्तारण किया जाएगा। कचरे से खाद बनाने की मशीनें लगाई जाएंगी। यह खाद किसानों को बेची जाएगी।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए टिब्बों की जमीन तलाश रहे हैं, क्योंकि यह जमीन कम प्रयोग में लाई जाती है। कुछ पंचायतों से बात हुई है, एक-दो सरपंच मान भी गए हैं। मगर अभी फाइनल कुछ नहीं हुआ है।
यूपी में जानबूझकर गंदगी फैलाने वालों पर नगर निगम और अन्य शहरी निकाय कार्रवाई करेगा। ऐसे लोगों को 500 से लेकर 3000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, लोगों को घरों से कूड़ा उठवाने की तय फीस देनी होगी। बड़े प्रतिष्ठानों को कूड़ा निस्तारण का लाइसेंस लेना होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन, संचालन एवं स्वच्छता) नियमावली-2021 को मंजूरी दे दी गई। शहरी निकायों को यह नियमावली अपने बोर्ड से पास करवानी होगी। इसके बाद यह अमल में आ जाएगी।
शहर में रोज निकलता है 14,468 टन कूड़ा
नगर विकास विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक शहरी निकायों में रोजाना करीब 14,468 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। मानक के मुताबिक, कूड़ा निस्तारित न होने की वजह से शहरों में गंदगी फैलती है। प्रदूषण से लोग बीमार हो रहे हैं। पर्यावरण पर भी इसका विपरीत असर देखा जा रहा है।
सॉलिड वेस्ट का प्रबंधन करने के लिए सरकार ने यूं तो 2016 में ही ऐक्ट बना दिया था, लेकिन नियमावली न होने के कारण इसको प्रभावी तौर पर लागू नहीं किया जा सका था। नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद अब शहरी निकाय कूड़ा फैलाने वालों से जुर्माना वसूल सकेंगे।
नियमावली के मुताबिक कूड़े को निकासी की जगह पर ही अलग-अलग करना होगा। सॉलिड वेस्ट को तीन श्रेणियों-जैविक (बायोडिग्रेडेबल), अजैविक (नॉन बायोडिग्रेडेबल) और घरेलू कूड़े में बांटा गया है। नियमावली में व्यवस्था की गई है कि कूड़ा निकासी की जगह पर अलग-अलग कूड़ेदान में रखे जाएंगे। उठान करने वाली एजेंसी के लोगों को कूड़ा अलग-अलग ही देना होगा।
100 से ज्यादा लोग तो देनी होगी सूचना
शहर में होने वाले कार्यक्रमों में 100 से अधिक लोगों की जुटान पर आयोजक को इसकी सूचना नगरीय निकायों को देनी होगी। साथ ही खुद ही साफ-सफाई भी करवानी होगी। सफाई न करवाने पर आयोजक से क्षेत्रफल व कचरे के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा। फेरी या पटरी पर दुकान लगाने वालों को भी इधर-उधर गंदगी फेंकने पर जुर्माने की जद में लाया गया है। उन्हें बंद डिब्बे में कूड़ा एकत्र करना होगा।
लंगर-भंडारे में रखना होगा कूड़ेदान
खुले नाले और नालियों में कूड़ा फेंकने पर भी प्रतिबंध होगा। नाले और नालियों को साफ रखने का दायित्व इलाके में रहने वालों का होगा। हाउसिंग सोसायटियों के अंदर की गलियां रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी को साफ करवानी होगी और इससे निकलने वाली गंदगी को एक स्थान पर रखना होगा। इसे निकाय की कूड़ा गाड़ियों को देना होगा। शहरों में लगने वाले लंगर, भंडारे या पूजा पंडलों में अब अनिवार्य रूप से डस्टबिन रखना होगा। आयोजकों को सुनिश्चित करना होगा कि कचरा सड़कों पर न फैले।
खुद एकत्र करवाना होगा कचरा
निजी संपत्तियों के प्रत्येक भवन स्वामी को अपने परिसर का कचरा खुद ही एकत्रित करना होगा। सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और इधर-उधर कूड़ा-करकट फेंकना प्रतिबंधित होगा। पशुओं की पहुंच वाले स्थानों पर भी कूड़ा नहीं फेंका जा सकेगा।
ज्यादा कूड़ा निकलने वाले स्थानों खासकर बहुमंजिले भवन, अपार्टमेंट, गली में स्थित घर, होटल, पार्क, मॉल, सरकारी या निजी आवासीय कॉलोनियों, समितियों, दुकानों, कार्यालयों, वाणिज्यिक अधिष्ठान, एयरपोर्ट, रेलवे व उद्योगों को अपने क्षेत्रों में अलग-अलग कूड़ा रखने और निस्तारित करने की व्यवस्था करनी होगी।
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