परम आदरणीय रसिकाचार्य श्री मोद लता जी की अंतिम रचना है...
"कनै करुणा के कोर से निहारु हे सिया..... "
मोदलता विवाह प्रसंग के प्रथम कवि व आचार्य हैं। जिनकी मोद पदावली पुस्तक गायक लोगों के पास उपलब्ध होता है।
यह पद पूज्य राजन जी द्वारा मेरे यहाँ आयोजित श्री रामकथा में गायी गयी है।
कथा स्थल :- डुमरी, कटरा, मुज़फ्फरपुर.
Негізгі бет भजन। कनै करुणा के कोर से निहारु ए सिये.....। By पूज्य श्री राजन जी महाराज।
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