माई के तरसत - टुअरा
- श्री प्रमोद कुमार मिश्र जी ( उँहे के गवले बानी बजवले बानी आ ई गीत लिखले बानी प्रमोद जी । प्रमोद जी पछिमि चम्पारण मे प्राईमरी स्कुल मे अध्यापक हई)
कवना जनम के बैर हमसे लिया गइल।
हाय रे विधाता तहरो मतिया हेरा गइल॥
(१)
का होला माई-बाप, हमहू ना जानी;
गोदिया के सुख का होला, कइेसे हम मानी।
जनमें से नाव मोरा, ‘टुअरा’ धरा गइल;
...........हाय रे विधाता तहरो मतिया हेरा गइल॥
(२)
केहू देहल माड़-भात, केहू तरकारी;
कबहू त भगई पहिनी, कबहू उघारी।
एही गति बीतल मोरा, बचपन सिरा गइल;
..............हाय रे विधाता तहरो मतिया हेरा गइल॥
(३)
बकरी चरावत मोरा, बितलि लरिकइया;
केहू न ‘बाबू’ कहल, केहू ना ‘भइया’।
कहि-कहि ‘अभागा’ लोगवा, जियरा जरा गइल;
.............हाय रे विधाता तहरो मतिया हेरा गइल॥
(४)
केकरा संघे खेले जाईं, केहू ना खेलावल;
अपना में ए टुअरा के, केहू ना मिलावल।
रोए-रोए मनवा मोरा, अँखिया लोरा गइल;
.............हाय रे विधाता तहरो मतिया हेरा गइल॥
( टुअरा , ओह के कहल जाला जेकर माई बाप ना होखे , छोट प छोड के चलि गईल होखे )
ब्लाग " माताश्री " से ई विडियो लिहल बा , हमनी के जरी ई विडियो पहुंचवले रहनी सरोज सिंह जी आ ई विडियो सोशल मिडिया मे अपना ब्लाग के जरिये ले आईल बानी " सिद्धार्थ " जी ।
Негізгі бет Ойын-сауық Bhojpuri 2022 । माई के तरसत टूअरा । प्रमोद कुमार मिश्र । भोजपुरी कविता । माई । Mother
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