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गीत - आंचर भीज गइल
गीतकार - हनुमान पाठा
आवाज - ऋषिशंकर
गीतकार आ गायक हनुमान पाठा जी के बारे में अभिलाष दुबे जी लिखत बानी -
स्व. हनुमान सिंह (गाँव: पवट, पो.: बेहरा, थाना: आरा मुफ्फसिल, जिला: भोजपुर - तब शाहाबाद) जी एगो उच्चस्तरीय कवि रहनी। ऊहाँ के जवार-स्तर के पहलवान भी रहनी, एह से ‘हनुमान पाठा’ कहात रहीं।
हनुमान पाठा पूर्वी सहित खड़ा आ लामा लय के गीतन्ह खाति जानल जानी। ऊहाँ के रचनन्हि के एगो संग्रह ‘द्रौपदी विलाप’ चाहे ‘द्रौपदी पुकार’ शीर्षक से प्रकाशित भइल रहे, जवन हमरा लगभग 10 साल के उमिर (सन् 1975-76) में देखे के मिलल रहे। ई लगभग 40 पृष्ठ के एगो पातर पुस्तिका रहे। पाठा के सबसे प्रसिद्ध रचना ‘द्रौपदी पुकार’ सहित आंचर भींज गइल बा नयना के नीर से, केहुनी के घइया आदि गीत भी ओह में रहि स। ओतना त नइखे इयादि बाकि ‘द्रौपदी पुकार’ के कुछु पंक्ति निम्नवत रही स:
श्री गुरु चरन कमलवा में लागल मन,
गाव तानी द्रोपदी पुकार ए मुरारी जी।
धर्मराज गइले हारि, धन अवरू तन नारी,
होत बा सुराज कुरुराज ए मुरारी जी।
शकुनि कइले कला, कइसे उनुकर होई भला,
कपट के जुअवा खेलवले मुरारी जी।
बइठल बाड़े गादाधारी, सामने खिंचाता सारी...
बाद में ऊहाँ के लिखनी:
दस हजार गज-बल थकि गएऊ,
दस गज अम्बर हरन न भयऊ।
एगो अवरू गीत सुने के मिलल रहे - सइयाँ हो तूँ तुरल सत्य के लकीरिया, तहार तिरिया याद करे।
Негізгі бет Ойын-сауық Bhojpuri Hits । हनुमान पाठा के गीत ऋषिशंकर के आवाज । भोजपुरी के शानदार गीत । आंचर भीज गइल
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