बिना गुरु की कृपा पाए, नहीं जीवन उधारा है ||
फँसी स्त्रुति आई यम फाँसी, अयन संधि अपनी नाशी,
भई भव सोग की वासी, कठिन जहँ ते उधारा है ॥१॥
गुरु निज भेद बतालावै, सूरत को राह दर्शाये,
जीव-हित आपहि आवै, सूरत को आइ तारा है ॥२॥
Негізгі бет बिना गुरु की कृपा पाए, नहीं जीवन उधारा है || स्वर- स्वामी रामचंद्र बाबा
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