एक संस्था है क्रेडिट स्विस. दुनिया भर के रईसों का आंकड़ा जारी करती है. भारत वालों का भी जारी करती है. इसके आंकड़ों के जरिए हम #DigitalIndia की एक तस्वीर आपके सामने रखने जा रहे हैं.
वही डिजिटल इंडिया जिसकी राह में #PMModi से पहले की सरकारों ने जाने कैसे-कैसे रोड़े अटका रखे थे. इसी डिजिटल इंडिया को कैशलेस इकोनॉमी बनना था. नोटबंदी इसका पहला कदम था. इसके बाद #Kashmir से आतंकवाद समाप्त हो जाना था, भारत के अलहदा हिस्सों से नक्सलवाद खत्म हो जाना था, सरकारी दफ्तरों से भ्रष्टाचार खत्म हो जाना था, कालेधन वालों का काला पैसा सामने आ जाना था.
इसी डिजिटल इंडिया के कुछ करोड़पतियों की सूची क्रेडिट स्विस हर साल जारी करता है. हमारी बातचीत का आधार बिजनेस स्टैंडर्ड में छपा एक लेख है जो 2019 के आंकड़ों पर आधारित है. संस्था बताती है कि उस साल भारत में 7,64,000 डॉलर मिलिनेयर थे. अगर हम इस आंकड़े का मिलान भारत सरकार के आंकड़ों से करें तो साल 2019 में जिन करोड़पतियों ने इन्कम टैक्स रिटर्न भरा था उनकी संख्या तीन लाख सोलह हजार थी. बाकी करोड़पति डिजिटल इंडिया की नज़रों से दूर क्यों हैं.
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