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वीडियो जानकारी: अद्वैत बोध शिविर, 15.05.2020, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
श्रीभगवान्वाच
सत्त्वतं रजस्तम इति गुणा बुद्धेन चात्मन:।
सत्तवेनानयतमौ हन्यात् सत्त्वं॑ सत््वेनः चैव हि॥१५॥
भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं--प्रिय उद्धव! सत्त्व, रज और तम--ये तीनों बुद्धि (प्रकृति)-के गुण हैं, आत्मा के नहीं। सत्त्व के द्वारा रज और तम--इन दो गुणों पर विजय प्राप्त कर लेनी चाहिये। तदनन्तर सत्त्वगुण की शान्तवृत्ति के द्वारा उसकी दया आदि वृत्तियों को भी शांत कर देना चाहिये॥१॥
~(हंस गीता, श्लोक 1)
~ अपनी बुद्धि को कैसे तीव्र करें?
~ क्या बुद्धि सत्य को जान सकती है?
~ आध्यात्म में तर्क का कितना महत्व है?
~ बुद्धि क्या है?
~ क्या बुद्धि प्रकृति मात्र है?
~ बुद्धि की उपयोगिता कहाँ तक है?
संगीत: मिलिंद दाते
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Негізгі бет बुद्धि के तीन तल || आचार्य प्रशांत, हंस गीता पर (2020)
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