नवाब मुहम्मद अहमद सैयद खान छतारी
यूपी के बुलंदशहर के कस्बा छतारी के नवाब सैयद खान का दिमाग बहुत तेज था. ये कम उम्र में ही हाफिज बन गये थे यानी कुरान याद कर लिया था ,वहीं इनके खयालात भी मॉडर्न थे. जिस वक्त जमीन की लड़ाई हुआ करती थी, ये कहा करते थे कि जमीन के बजाय मैं इंडस्ट्री लगाना पसंद करूंगा ,1925 में होम मेंबर यानी मिनिस्टर टाइप की पोजीशन पर पहुंचे. बहुत ज्यादा पावर तो नहीं थी फिर भी रिकमेंड करने भर की पावर थी नवाब 17 मई 1923 से 11 जनवरी 1926 तक यूपी की कैबिनेट में मिनिस्टर रहे. मिनिस्टर ऑफ इंडस्ट्री रहते हुए नवाब को उत्तर प्रदेश में चीनी मिल और आटे की मिलों को बैठाने का श्रेय प्राप्त किया, 1931 में नवाब मिनिस्टर ऑफ एग्रीकल्चर बने. 1933 में जब ये गवर्नर बने तब ये पहली बार हुआ था कि किसी इंडियन को गवर्नर बनाया गया था. ये किसानों के आंदोलन से भी जुड़े, रहे.गवर्नर के तौर पर नवाब एक बार जेल इंसपेक्शन करने भी गये थे,शुरू से जमींदारी रहते आम के बाग रखने का शौक भी रहा ,जिसके चलते 1935 म लंदन में हुए फेस्टिवल में वहां इंडिया कि तरफ से नवाब गए थे , रटौल आम को लेकर प्रथम इनाम जीता था ,आजादी के बाद नवाब सोशल कामों में बिजी हो गए ,1982 में अल्लाह को प्यारे हो गए अपनी आत्मकथा भी लिखी *याद ए आय्याम*)के नाम से जो अभी भी उनके परिवार के पास संजों कर रखी है,
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