Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन।
लेकिन आप जरा गम्भीरता से सोचिए। आप मानव होने के नाते अपने जीवन का क्या मूल्यांकन करते हैं? इस पर विचार कीजिए। आज जो परिचय दिया जाता है, वह धन के अधीन दिया जाता है, पद के अधीन दिया जाता है, योग्यता के अधीन दिया जाता है। लेकिन मानव होने के नाते आपका क्या महत्त्व है? इस बात को हम भूल गए हैं। उसका परिणाम यह हुआ है कि मनुष्य पराश्रय और परिश्रम में आबद्ध हो गया है। पराश्रय और परिश्रम में आबद्ध मानव कभी-भी न तो शान्ति पाता है, और न मुक्ति पाता है और न भक्ति पाता है। ऐसा मेरा विश्वास है और अनुभव है। अगर इसके विपरीत किसी का अनुभव हो, तो मुझे बताएँ।
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Негізгі бет बुराई का उत्तर भलाई से दे सकता है। 38(अ) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj
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