आचार्यादि ब्राह्मणों का वरण
यजमान वरण हेतु द्रव्य पास में रखकर ब्राह्मणों से प्रार्थना करे :
पावनाः सर्ववर्णानां ब्राह्मणा ब्रारु पिण: ।यजमान अपने दायें हाथ में वर्णद्रव्यादि लेकर बोले :अमुकगोत्रः अमुक प्रवरान्वित अमुकवेदशाखा ध्यायिन अमुकशर्मणः अस्मिन्कर्मणि एभिर्वरणद्रव्यैः ....... पूजन सम्पादनार्थमहं वृणे। ब्राह्मण भी बोले :- ‘वृतोऽस्मि' बोले। इस प्रकार सभी ब्राह्मणों का
वरण करें। यजमान व यजमान की पत्नी के तिलक करके राखी बाँधे।
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