चन्द्रबदनी मंदिर | Chandrabadni Temple Tehri Garhwal 2023 Latest Update
श्री चन्द्रबदनी सिध्पीठ की स्थापना की पौराणिक कथा देवी सती से जुडी हुई है | पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी सती के पिता राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया , जिसमे उन्होंने भगवान शंकर को छोड सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया था | देवी सती की मां के अलावा किसी ने भी वहां सती का स्वागत नहीं किया । यज्ञ मंडप में भगवान शंकर को छोड़कर सभी देवताओं का स्थान था । देवी सती ने अपने पिता जी राजा दक्ष से भगवान शंकर का स्थान न होने का कारण पूछा तो राजा दक्ष ने उनके बारे में अपमानजनक शब्द सुना डाले । जिस पर गुस्से में देवी सती यज्ञ कुंड में कूद गईं । सती के भस्म होने का समाचार पाकर भगवान शिव वहां आए और राजा दक्ष का सिर काट दिया। भगवान शिव शोक करते हुए सती का जला शरीर कंधे पर रख कर तांडव करने लगे । उस समय प्रलय जैसी स्थिति आ गई । सभी देवता शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु से आग्रह करने लगे । इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था इसलिए जहां-जहां सती के अंग गिरे , वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए । मान्यता है कि चंद्रकूट पर्वत पर सती का बदन (शरीर) गिरा, इसलिए यहां का नाम “चंद्रबदनी” पड़ा।
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