hello dosto kese ho AAP Aaj की कहानी चतुर खरगोश chaliye suru karte hai
दो खरगोश अपने माँ के साथ एक सूंदर से गांव के हरे भरे मैदान में रहते थे। उन दो खरगोश के नाम थे चिंटू और मिंटू। चिंटू बहुत ही नटखट था, और पिंटू बिलकुल उसके अपोजिट बहुत ही शांति पूर्वे था।
वे अपनी माँ के साथ एक पेड़ की जड़ के नीचे रहते थे। ” सुन मेरे बच्चों, तुम खेलने के लिए निचे खेत में जा सकते हो पर ध्यान रखना की तुम रतनलाल के खेत में नहीं जाओगे ” उन खरगोश के माँ ने उन्हें सतर्क कर दिया।
“आपके पिता की वहाँ एक दुर्घटना हुई थी। रतनलाल बहुत ही खतरनाक आदमी है, उनसे दूर रहने में ही हमारी समझदारी है” माँ ने उन्हें हर बार की तरह चेतावनी दी।
“अब चलो और शरारत में न पड़ें। मैं बाहर जा रही हूँ ” ये सब बोल के खरगोश की माँ अपना बैग और छाता लेकर घर से बाहर निकली।
मिंटू जो एक होशियार और समझदार खरगोश था उसने बाजुवाले खेत में जाने का फैसला किया। चिंटू ने मिंटू के साथ जाने से इंकार कर दिया, और वह दौड़के रतनलाल के बगीचे में चला गया। रतनलाल का बगीचा बहुत ही बड़ा, सूंदर और फल सब्जी से भरा हुआ था।
रतनलाल के बगीचे में आसानी से खाने को मिलता था।
चिंटू खरगोश ने बहुत ही सब्जी और फल खाया। बहुत ही खाने के बाद चिंटू के पेट में दर्द होने लगा। फिर भी वह उसकी परवा न करता लालच के कारन खाता ही चला गया।
चिंटू गाजर खाते वक्त आगे चला गया। तभी उसे रतनलाल पौधों को पानी देता दिख गया।
वह सावधानिसे पीछे जाने लगा। तभी रतनलाल की नज़र चिंटू खरगोश पर पड़ी। रतनलाल पानी का पाइप वही छोड़के चिंटू के पीछे गुस्से से भागने लगा।
खरगोश अब बहुत ही डरा हुआ था। अब वह पूरे बगीचे में भाग रहा था। डर के कारन वह गेट के पीछे का रास्ता भी भूल गया था और डर के मारे भागते वक्त उसने अपने दोनों जुते भी खो दिए थे।
बिना जुते से वह और जोर से भागने लगा। चिंटू भगते हुए के रतनलाल की गेराज में जाके छूप गया।
खरगोश बहुत देर से दिखाई न देने के कारन रतनलाल गुस्से से अंदर जाके छड़ी लेकर आया। रतनलाल बहुत ही निश्चित था कि वह खरगोश अपने ही बगीचे में छुपा हुआ है। वह बगीचे में ध्यान से देखने लगा। तभी चिंटू गलती से छींका, आवाज़ आने से रतनलाल मूड़ गया और आवाज़ की तरफ भागने लगा।
रतनलाल को आते देखकर चिंटू ने जल्दी से गेराज की खिड़की से कूद गया, जो की बहुत ही छोटा था, जिससे रतनलाल नहीं जा सका। अब रतनलाल बहुत ही थक गया था। उसकी उम्र के कारण रतनलाल को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, और उसका शरीर थोड़ा बहुत कांप भी रहा था।
रतनलाल गेट पे पहरा दे कर वही पे बैठ गया। चिंटू को दूसरे गेट से बहार निकल के लिए रास्ता खुला था, पर उसे जाने के लिए रतनलाल के पास से जाना पड़ता था। पर अब उसके पास एक ही मौका था रतनलाल के पास से गुजर जाना और चिंटू ने वह मौका नहीं छोड़ा। रतनलाल को बड़ी मुश्किल से चकमा देकर चिंटू रोते हुए बगीचे से बहार निकल गया।
आज चिंटू खरगोश ने अपनी जान बचा ली थी और सबसे महत्वपूर्ण सबक सीख लिया था
सीख हमें कोई भी वह काम नहीं करना चाहिए जो घर वाले मना करें अगर हम वह काम करते हैं तो हमेशा हम किसी न किसी बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं
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Негізгі бет Ғылым және технология चतुर खरगोश ki kahani in hindi
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