बहुत ही मार्मिक और भाव प्रधान लोकगीत है जब लड़की की विदाई होती है उस समय उसके क्या भाव होते हैं यही भाव इसमे व्यक्त किया गया है एक समय था जब संचार के आधुनिक संसाधन नहीं थे जब लड़की मायके आती थी तभी उसको यहां का हाल-चाल मिलता था ऐसे समय में लड़की के क्या भाव थे मायका छोड़ते समय वही भाव इसमें व्यक्त किया गया है।
#विदाईगीत
गाने के बोल हैं :-
छूटि गई नईहर के गलियां हो अब कबै लउटबै ।
हारमोनियम :-श्री गणेश प्रसाद मिश्रा ।
ढोलक :- श्री शिबू द्विवेदी ।
गायिका :- श्रीमती सुषमा शुक्ला। Also don't forget to check
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Негізгі бет (छूटि गई नइहर के गलिआ हो){विदाई गीत}।बघेली लोकगीत।[ऐसा मार्मिक गीत जिसे सुनकर आंखों में आंसू आ जाए]
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