साथियो चेक मैटर जो की usually सेक्शन 138 NI एक्ट के तहत पेश किये जाते है जिसमे परिवादी का ये कंटेन्शन होता है कि उसके और अबयुक्त के बीच सम्वयवहार रहे जिसके पेटे concern accused के द्वारा चेक दिया गया वो चेक बाउंस हो गया और नोटिस देने के बावजूद भी भुगतान नहीं किया गया जिस कारण accused सेक्शन 138 NI एक्ट के तहत legible है कोर्ट में तीन प्राथनाए कि जाती है सबसे पहली बात जो मूल राशि है उसका दुगना अमाउंट दिलाया जाए accused को जेल भेजा जाए और बारी बरकम फाइन भी उसपे imposed किया जाए और इसके अतिरिक्त अन्य कानून दोष जो न्यायालय को ठीक लगे परिवादी को दिलाये जाए साथियो जब डिफेन्स इन मैटर को कंटेस्ट करता है तो उसको डर होता है कि उसके खिलाफ सेक्शन 118 और सेक्शन 139 NI एक्ट का presumption है परिवादी बढ़त में है और निश्चित तौर पे उसको सजा होनी ही होनी है अब उसका कुछ नहीं हो सकता तो अधिकतर accused है राजीनामें कि तरफ आगे बढ़ जाते है जबकि आपको एक बात में बता दू कि सेक्शन 138 NI एक्ट का जो बेसिस है वो है legal enforceable debt और legal enforceable debt प्रूफ करनी है परिवादी को बले ही क़ानून में presumption है कि सेक्शन 118 और सेक्शन 139 का उसके बावजूद भी सबकुछ प्रूफ करना है परिवादी को और परिवादी अपना केस प्रूफ कर पाता है तभी कोर्ट presumption ड्रा कर पायेगा साथियो क्या आपकी भी समस्या कुछ इस प्रकार है तो घबराने का नहीं है इस विडिओ को अंत तक जरूर देखे आपको आपकी समस्या का समाधान इस विडिओ के माद्यम से जरूर मिलेगा।
Adv. Jinesh Soni
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Негізгі бет Cheque Bounce Case Important Update | Hindi | 2022 | Dr. Jinesh Soni
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