हम सब के अपने नाम के किसी का कुछ भी नहीं हैं। जो कुछ भी और कोई भी पास में आते है सब के सब क्षणभर के लिए ही हैं। किसी भी वस्तु और कुछ भी हो किसी का अपना नहीं हैं। तब किसकी चिन्ता, किस लिए चिन्ता ? चिन्ता क्यों करें ? माभै : आवाज उठाकर जग जाना पड़ेगा। आनन्द से आया, आनन्द में जिन्दगी बिताना और अन्त में आनन्द मचाता - मचाता परमानन्द में ही लय हो जाना। बस हो गया काम सम्पूर्ण , हो गया मनुष्य का जन्म तथा जीवन सफल और सार्थक। इसके आगे और क्या हो सकता ? और क्या चाहिए ?
.................. स्वामी सर्वानन्द
पुस्तक (Book):
( स्वामी सर्वानन्द की अमृतधारा
एवं
कुछ छंदोबद्ध कवितागुच्छो )
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"Shri Guru Dham", Swami Sarvananda Sevashram, Yogoda satsanga, Vadia, Amreli, Gujarat-365480, India.
Негізгі бет चिंता क्यों करें (chinta kyon karen) ?
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