सनातन संस्कृति में किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व दीप प्रज्वलन करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। संपूर्ण कार्य को पूर्ण करने की सामर्थ ऊर्जा हंसी के द्वारा प्राप्त होती है। दीप ज्ञान का स्वरूप भी है। प्रत्येक विद्या के साधक को तथा विद्यार्थियों को प्रातकाल और साईं काल इस दीप मंत्र का उच्चारण मंदिर में करना चाहिए। किसी भी कार्यक्रम के प्रारंभ होते समय दीप प्रज्वलन किया जाता है, उस समय इस मंत्र का पाठ करना चाहिए।
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दीप ज्योति: परं ज्योति:, दीप ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपू हरतु मे पापं, दीप ज्योतिर्नमोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणम् आरोग्यं सुख सम्पदा:।
द्वेषबुद्धि विनाशाय, आत्मज्योति: नमोस्तुते।।
आत्मज्योति: प्रदीप्ताय, ब्रह्मज्योति: नमोस्तुते।
ब्रह्माज्योति: प्रदीप्ताय, गुरुज्योति: नमोस्तुते।
वेद मंत्र
चंद्रमा मनसो जात
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