DBA मे महादशा का स्वामी सबसे अधिक शक्तिशाली होता है, इसके बाद अन्तर्दशा का स्वामी बलवान होता है और इसके बाद प्रत्यांतर दशा का स्वामी का नम्बर आता है। यदि महादशा का स्वामी किसी घटना के घटित होने को स्वीकार करता है तो वह घटना उसकी दशा मे अवश्य घटित होगी। ये घटना उस अन्तर्दशा स्वामी की दशा मे घटित होगी जो उस घटना के घटित होने के लिये सबसे अधिक बलवान होगा। यदि महादशा स्वामी बहुत अधिक शक्तिशाली है तो घटना उसकी ही अन्तर्दशा मे घटित हो जायेगी। यदि अन्तर्दशा स्वामी इस घटना को नकारता है तो हम अगली अन्तर्दशा को चेक करेंगे। यदि महादशा स्वामी किसी घटना को नकार दे तो घटना उसकी महादशा मे घटित नहीं हो सकती, भले ही अन्तर्दशा का स्वामी उस घटना को स्वीकार करता हो। इस विडियो मे हमने उदाहरण सहित इन सभी बातों का विस्तार से वर्णन किया है।
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Негізгі бет दशाफल सिद्धान्त (नियम तथा प्रायोगिक उदाहरण का सरल वर्णन), K P Astrology, Lecture 9
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