#सनातन_धर्म में जन्मे भ्रूण सम (माता के गर्भ समान #गर्भ में स्थित ) #सनातन_धर्म से जन्मे (#जन्म ले विकसित हुए ) इस जन्मदात्री (सनातन_धर्म) को अपना स्नेह दें , इसे सुरक्षित करें, संरक्षित करें पोषित करें। ये जीव का वो घर या धर्मस्थान है जहां उसका उच्चतम विकास या आत्मा का पोषण होता है। ये सामान्य से अधिक पुज्य्नीय श्रद्धेय और वंदनीय है जो पूजा और शृद्धा जनक और जानकी को है जो पूजा परमपिता को है वही इस मार्गदर्शी को भी है।
समझें ! जाने ! और माने ! साथ अपनी शक्ति अपनी सीमा स्वयं अपना भी मान सम्मान करें। आग में चढ़े चावल की बटोई का एक दाना ही दबा के जानने को काफी है , इसलिए बाकी मिथ्या में न पड़ें। सनातन ज्ञान अथाह है , उसमे से चुल्लूभर अनुभव एक जीव की क्षुधा और भूख शांति के लिए पर्याप्त है, और जो अथाह है वो एक ही बात कहता है एक ही इशारा , ठीक उस सागर की तरह जो जल से भरा है पर नन्हे नन्हे सैकड़ों कणो से संयुक्त जल वाष्पजल उठता ऊपर को ही है।
वो नन्हे जलकण आप हम, और सनातन हमारा सागर, परमात्मा को जानना लक्ष्य, और उसे जान के क्या होगा ! अपने द्वारा अपने जीवनकाल में सुन्दर धरती का श्रृंगार और निर्माण। और कर्तव्यनिष्ठ पुरातन ईश्वरतत्व को उठता धर्म इससे अधिक क्या कहता है !
अधिक की लालसा तो सीमारहित है पर हम सीमारहित नहीं।
प्रणाम
Негізгі бет दर्शन : सनातन धर्म (मेरी समझ)
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