दर्शन शास्त्र क्या है?
दर्शन शब्द दृश धातु से बना है, जिसका अर्थ विशेष देखना या अनुभूति करना होता हैं । भारत में दो प्रकार के दर्शन हैं, वैदिक दर्शन और अवैदिक दर्शन । वैदिक दर्शन यानि वेद को शब्द प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं ऐसे दर्शन और अवैदिक दर्शन अर्थात वेद को प्रमाण रूप में नहीं स्वीकार करने वाले दर्शन । वैदिक दर्शन की संख्या छह है- न्यायदर्शन, वैशेषिकदर्शन, सांख्यदर्शन, योगदर्शन, पूर्वमिमांशा और उत्तरमीमांशा (वेदान्तदर्शन) । अवैदिक दर्शन तीन है- जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, चार्वाक दर्शन । इस तरह सब मिलकर नौ भारतीय दर्शन हैं ।
ऋषिओने जिस ज्ञान को ध्यान से साक्षाकार कर के शब्दो मे लिखा उसको दर्शन कहते है। खाली philoshophy को नही।
सत्संग के मोती:
ॐ जो संसार के पार की बात बताते है वह ऋषि है।
ॐ साधना के मार्ग अलग अलग है मगर प्राप्य एक ही है। जैसे 2x2, 4x1 या 1+3 = 4 ही होता है।
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"संस्कृति संवर्धन संस्थान" 1970 से भारतीय संस्कृति के आधारभूत ग्रंथों का संरक्षण और संवर्धन करनेवाली संस्था है।
"संस्कृति आर्य गुरुकुलम" वैदिक आश्रम प्रणाली के अनुसार शिक्षा प्रदान करने वाला एक गुरुकुल है। यहां बच्चों के समग्र विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कार, संस्कृतियों और परंपराओं को भी सिखाया जाता है। यहां लोगों के लिए आयुर्वेद, पंचगव्य, पंचकोश विकास, गर्भ संस्कार और भ्रूणविज्ञान, आदर्श माता-पिता, संस्कृत भाषा की कक्षाओं आदि के लिए कई संस्कृति संवर्धन के सेमिनार और पाठ्यक्रम करते हैं। यहां बच्चों के अध्ययन और सभी कार्यक्रम मुफ्त या स्वैच्छिक अनुदान के साथ आयोजित किए जाते है ।
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